अब नक्सलियों को संगठन में भर्ती करने के लिए नए लड़ाके नहीं मिल रहे हैं।
नक्सलियों (Naxalites) की कमर अब पूरी तरह टूट चुकी है। सरकार, प्रशासन और सुरक्षाबलों की कार्रवाई से तो नक्सलियों के नाक में दम है ही, एक और बात ने भी उनकी परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल, अब नक्सलियों को संगठन में भर्ती करने के लिए नए लड़ाके नहीं मिल रहे हैं।
लड़ाके नहीं मिलने से Naxalites बेहद परेशान हैं, क्योंकि उन्हें अब अपनी साख पूरी तरह बिखरती नजर आ रही है। इस बात का खुलासा इनामी नक्सली देवा के पास से मिले खत से हुआ है। यह खत उसने ओड़िशा के 1 करोड़ रुपए के इनामी नक्सली को लिखी थी। पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए देवा के पास तेलगु भाषा में मिली चिट्ठी का पुलिस ने हिंदी अनुवाद कराया है। इसमें देवा ने नए लड़ाके नहीं मिलने का कारण सरकारी योजनाओं को बताया है। पिछले 8 अक्टूबर को Naxalites की टीम दंतेवाड़ा सीमा को पार कर रही थी, उस वक्त डब्बा के जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी।
इस एनकाउंटर में नक्सली देवा मारा गया था। देवा के पास से कई चिटि्ठयां मिलीं। इनमें से एक खत उसके साथी रमेश ने ओड़िशा में 1 करोड़ के इनामी नक्सली साकेत को लिखा था। दरअसल, साकेत ने देवा को खत लिखकर नए नक्सलियों की भर्ती नहीं होने पर चिंता जताई थी। इसके जवाब में देवा के साथी रमेश ने उसे पत्र लिखा था। पत्र में रमेश ने टीसीओसी के दौरान हुए हमलों का जिक्र करते हुए लिखा है कि टीसीओसी में नक्सली सफल हुए, लेकिन नए लोगों की भर्ती में उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। सरकार जनता के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही हैं, जिससे जनता अब प्रभावित होकर मुख्यधारा में जा रही है।
मध्यमवर्गीय परिवारों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिलने के कारण संगठन कमजोर हो रहा है। बरामद हुई चिट्ठी में दंतेवाड़ा की कई सारी योजनाओं और यहां हुए एनकाउंटर का भी जिक्र है। पुलिस के अनुसार, साकेत को लिखी चिट्ठी के अलावा मिली अन्य चिट्ठियां पड़ोसी राज्यों के बड़े नक्सली लीडर्स को भेजने के लिए तैयार की गई थी। दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के अनुसार, नक्सलियों की सच्चाई को अब ग्रामीण समझ चुके हैं, इसलिए अब उनका साथ नहीं दे रहे हैं। नक्सली अब खुद इस बात को स्वीकार रहे हैं कि उनके संगठन में अब नए लोग नहीं मिल रहे।
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