
नक्सली गिरिडीह, हजारीबाग, चतरा, लातेहार, पलामू, गुमला, खूंटी, सरायकेला और पश्चिम सिंहभूम में संगठन (Naxali Organization) के विस्तार की कोशिश में लगे हैं।
झारखंड (Jharkhand) में कमजोर पड़ चुके नक्सली संगठन (Naxali Organization) अब युवाओं को हर महीने 10-12 हजार रुपए की सैलरी का लालच देकर संगठन में शामिल कर रहे हैं। दरअसल, बीते कुछ सालों में पुलिस की सख्ती और एंटी नक्सल ऑपरेशन की वजह से नक्सली संगठन कमजोर पड़ गए हैं।
इसके अलावा, कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद आर्थिक रूप से भी इनकी हालत खराब है। ऐसे में नक्सली लेवी वसूली कर अपना काम चला रहे हैं। लेवी वसूली के लिए वे अब नए कैडर का भर्ती अभियान चला रहे हैं। संगठन को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने के लिए ग्रामीण इलाकों में काम कर रही कंपनियों और ठेकेदारों से लेवी मांगी जा रही है।
डर पैदा करने के लिए हाल के दिनों में नक्सलियों ने कई हिंसक वारदातों को भी अंजाम दिया है। नक्सली गिरिडीह, हजारीबाग, चतरा, लातेहार, पलामू, गुमला, खूंटी, सरायकेला और पश्चिम सिंहभूम में संगठन (Naxali Organization) के विस्तार की कोशिश में लगे हैं। जानकारी के मुताबिक, सितंबर से नवंबर तक झारखंड में 800 से ज्यादा युवाओं और बच्चों को संगठन में भर्ती किया गया।
भर्ती होने वालों में आठ साल के बच्चों से लेकर 25 साल के लड़के-लड़कियां शामिल हैं। खबरों के अनुसार, लातेहार के बूढ़ा पहाड़ में 300 और और पश्चिम सिंहभूम के कोल्हान-पोड़ाहाट जंगल में 200 से ज्यादा युवाओं-बच्चों की ट्रेनिंग चल रही है। नक्सली संगठन (Naxali Organization) से दूर हो चुके पूर्व नक्सलियों को भी वापस जोड़ा जा रहा है।
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बूढ़ा पहाड़, पोड़ाहाट और पारसनाथ इलकों में नक्सलियों के भर्ती कैंप चलाए जा रहे हैं। तीनों जगह भर्ती के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके में पर्चे-पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। नक्सली नेता युवाओं को बरगला कर उन्हें संगठन (Naxali Organization) में भर्ती होने की अपील कर रहे हैं। वे संगठन से जुड़ने पर बच्चों को 5 से 8 हजार और युवाओं को 10 से 12 हजार रुपए सैलरी देने का लालच भी देते हैं।
पर, नक्सली केवल लालच देने तक ही सीमित नहीं हैं। वे शर्तें नहीं मानने पर जबरन उठाकर ले जाने की धमकी भी देते हैं। बताया जाता है कि 45 दिन की ट्रेनिंग के बाद नक्सलियों का जन मिलिशिया दस्ता तैयार होता है। जानकारी के अनुसार, बूढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी नक्सली नेता नवीन, बलराम और छोटू खरवार संभालते हैं।
ट्रेनिंग कैंप में दिन की शुरुआत माओवाद के पाठ से होती है। संगठन के बारे में जानकारी दी जाती। इसके बाद धीरे-धीरे सरकारी व्यवस्था के खिलाफ उनके कानों में जहर भरा जाता है। कैंप में नए लड़कों की भर्ती के बाद उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। बताया जाता है कि नए रंगरूटों को पहली बार आतंक की नई परिभाषा के तहत शिक्षा दी जा रही है।
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इसके लिए नक्सलियों (Naxals) ने कॉमरेड-एमपीरेट फॉर्मूला तय किया है। इसमें कॉमरेड का मतलब है, कंटिन्यू ओपेन मनी फॉर रिक्रूटमेंट एंड अटैक डेवलपमेंट फॉर एक्सपेंशन। यानी संगठन में भर्ती के लिए पैसे का फ्लो जारी रखना और विकास कार्यों पर अटैक कर इसका विस्तार करना और एमपीरेट का मतलब है मनी, पावर, रिक्रूटमेंट, एक्सपेंशन, टेरर यानी धन, ताकत, भर्ती, विस्तार, आतंक को एक साथ जारी रखना।
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