चतरा में नक्सली संगठन TPSC का उत्पात, दंपति और बच्चों को पीट-पीट कर किया जख्मी

टीएसपीसी झारखंड में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है जिसका काम ठेकेदारों से लेवी और फिरौती लेना है। शर्त नहीं मानने पर सजा-ए-मौत अथवा अपहरण इस संगठन का एक तरीका है। यह संगठन झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ा सिर दर्द बना हुआ है।

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झारखंड के चतरा में टीएसपीसी के उग्रवादियों ने मचाया उत्पात

झारखंड के चतरा जिले में तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (TSPC) नाम के उग्रवादी संगठन के सदस्यों ने चतरा-पलामू सीमा सीमा क्षेत्र पर स्थित दुर्गी गांव में धावा बोलकर जमकर उत्पात मचाया। 24 जून की आधी रात को इन उग्रवादियों ने गांव के निवासी अशोक यादव एवं उनकी पत्नी आनावली देवी और बेटे अरविंद यादव और अजय यादव की जमकर पिटाई की। उग्रवादियों की पिटाई से चारों गंभीर रूप से जख्मी हैं। उपचार के लिए सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना की जानकारी मिलते ही पलामू और चतरा पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी अभियान चलाना शुरू कर दिया है। हालांकि, पुलिस को फिलहाल इन उग्रवादियों के खिलाफ कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुलाब यादव हत्याकांड में टीएसपीसी के कुछ उग्रवादियों को अभियुक्त बनाया गया है। मुदकमा दर्ज होने के बाद से टीएसपीसी के उग्रवादी बौखलाए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि वे मुकदमा वापस लेने के लिए लगातार धमकी दे रहे थे। गांव में हुई इस मार-पीट की घटना को इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है।

क्या है कि टीएसपीसी

टीएसपीसी झारखंड में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है जिसका काम ठेकेदारों से लेवी और फिरौती लेना है। शर्त नहीं मानने पर सजा-ए-मौत अथवा अपहरण इस संगठन का एक तरीका है। यह संगठन झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ा सिर दर्द बना हुआ है। यह संगठन झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर, हजारीबाग, चतरा, सिमरिया पलामू एवं बिहार से सटे इलाके में सक्रिय है। यह कहा जा सकता है कि इस उग्रवादी संगठन के साथ कई नक्सली संगठन का भी मित्रवत साथ मिलता है, जिसका एकमात्र कार्य है धन की उगाही करना और विरोध करने वालों को मौत के घाट उतार देना।

इस संगठन में कई बड़े नक्सली भी शामिल हैं। झारखण्ड पुलिस ने खुद माना है कि यह संगठन अमेरिकन एक्स 95 लेजर लाइट नाइट विजन गन का मैगजीन, एके-47, इंसास जैसे आधुनिक घातक हथियारों का प्रयोग करता है। यह खुलासा तब हुआ था, जब 6 मार्च, 2019 को हजारीबाग स्थित केरेडारी थाना क्षेत्र के बधुताबर जंगल में पुलिस और टीएसपीसी के उग्रवादियों के बीच में मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में दोनों तरफ से 500 राउंड गोलियां चली थीं। वहीं इस घटना में तीन उग्रवादी मारे गए थे।

अपने साथी उग्रवादियों को मरते और पुलिस को भारी पड़ते देख उग्रवादी हथियार छोड़ कर भागने में सफल हुए थे। इसके बाद पुलिस द्वारा इस जंगली क्षेत्र में गहन सर्च अभियान चलाया गया। इस दौरान पुलिस को जिस प्रकार के हथियार हाथ लगे वह वास्तव में चौंकाने वाले थे। पुलिस को यहां से अमेरिका एवं इजराइल से आपूर्ति होने वाले कई हथियार मिले जो फिलहाल सीआरपीएफ को प्राप्त हैं। इसके अलावा एक्स 95 मैगजीन, एके-47 एवं इंसास का बरामद होना यह साबित करता है कि टीपीसी उग्रवादी संगठन के पास घातक हथियार हैं।

जिसकी पुष्टि प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हजारीबाग पुलिस ने 9 मार्च, 2019 को की थी। पुलिस के अनुसार मारे गए तीनों उग्रवादियों में टीएसपीसी के सब जोनल कमांडर जिनेश्वर गंजू भी शामिल था। जिसके बारे में बताया जाता है कि उसने चेन्नई से बी टेक किया था। उसे पिता ने लोन लेकर पढ़ाया था। लेकिन झारखंड लौटने के बाद वह उग्रवादी संगठन टीएसपीसी से जा मिला और देखते ही देखते वह सब-जोनल कमांडर बन गया।

पढ़ें: गांव की भोली-भाली मेसी कैसे बन गई कुख्यात नक्सली कमांडर?

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