पुनर्वास योजनाएं बन रहीं नक्सली संगठनों के कमजोर होने की वजह

नक्सली संगठन (Naxal Organizations) आजकल एनकाउंटर से अधिक सरकारों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए चलाए जा रही कल्याणकारी नीतियों एवं पुनर्वास योजनाओं से डर रहे हैं।

Naxal Organizations

फाइल फोटो।

सरकार की पुनर्वास योजनाओं से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना नक्सली संगठनों (Naxal Organizations) के डर की वजह बन रहा है।

नक्सली संगठन (Naxal Organizations) आजकल एनकाउंटर से अधिक सरकारों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए चलाए जा रही कल्याणकारी नीतियों एवं पुनर्वास योजनाओं से कमजोर पड़ रहे हैं। सरकार द्वारा हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आने वाले नक्सलियों के लिए कई तरह की योजनाएं हैं। जिसमें उनके लिए मुआवजे से लेकर पुनर्वास के लिए बहुत सी सुविधाएं हैं जिससे प्रभावित होकर नक्सली आम जिंदगी में वापस आ रहे हैं।

सरकार की पुनर्वास योजनाओं से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना ही नक्सली संगठनों के डर की वजह है। झारखंड के गिरिडीह का पारसनाथ क्षेत्र प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का मुख्यालय माना जाता था। लेकिन अब यह जगह प्रशासन की घेराबंदी की वजह से खत्म होता दिख रहा है।

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जहां कभी बंदूक के टाप सुनाई देते थे पर आज वहां अमन और शांति है। पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई से नक्सली संगठनों की जड़ कमजोर हो रही है। जहां प्रशासन का सख्त रूख नक्सल हिंसा को कम रहा है तो वहीं सरकार की आत्मसमर्पण की योजनाएं भी काफी कारगर साबित हो रही हैं।

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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बहुत सी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। वे आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में आने का ख्वाब देखते हैं पर उसके बाद वे नक्सली संगठन के जानी दुश्मन बन जाते हैं। इसे देखते हुए प्रशासन उनकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी ले रहा है। नक्सली संगठनों (Naxal Organizations) को छोड़ मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों को सरकार और प्रशासन रोजगार भी मुहैया करवा रहा है, जिससे वे अपने परिवार के साथ सुकून की जिंदगी जी सकें।

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