नक्सलियों को रास ना आया विकास, जमकर मचाया तांडव

खुद को आदिवासियों का मसीहा बताने वाले नक्सली नहीं चाहते कि स्थानीय लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

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छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य को रोकने के लिए तांडव किया है।

सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य ये वो मूलभूत सुविधाएं हैं जिन पर देश के हर नागरिक का हक है। ये सुविधाएं हर व्यक्ति तक पहुंचाना केंद्र के साथ ही साथ सभी राज्य सरकारों का कर्तव्य है। पर आज भी तमाम ऐसे इलाके हैं जहां ना तो अच्छी सड़कें हैं और ना ही बाकी सुविधाएं ठीक से पहुंच पा रही हैं। इन्हीं इलाकों में शामिल है छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित क्षेत्र कोंडागांव। ऐसा नहीं है कि सरकार इस क्षेत्र का विकास नहीं चाहती, या फिर इसके लिए योजनाओं और बजट का टोटा है। ऐसा नहीं हो पाने की असल वजह हैं नक्सली। खुद को आदिवासियों का मसीहा बताने वाले नक्सली नहीं चाहते कि स्थानीय लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें, उनके इलाके में अच्छी सड़कें हों, अच्छे स्कूल और अस्पताल हों। जब भी इन क्षेत्रों में विकास संबंधी कार्य शुरू होते हैं, नक्सली उसमें बाधा पहुंचाने लगते हैं।

भला हो प्रशासन और सुरक्षाबलों का, जिनके चलते नक्सलियों के नापाक इरादे हर बार पूरे नहीं हो पाते। इसका जीवंत उदाहरण हैं पिछले कुछ सालों में लगातार हुए विकास कार्य। इसका लाभ ज्यादातर इलाकों के लोगों को मिला है। ज्यादातार इलाकों में सड़कें या तो बन चुकी हैं या फिर बन रही हैं। स्कूल और अस्पताल की सुविधाएं भी हर इलाके में पहुंचाई जा रही हैं। पर, सरकार और प्रशासन की इस कोशिश में सबड़े बड़े दुश्मन बन बैठे हैं नक्सली। आए दिन होने वाले एनकाउंटर में अपने साथियों के मारे जाने और बड़े नक्सलियों के सरेंडर से वो बौखलाए हुए हैं। उधर, लगातार अपने क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों से स्थानीय लोगों का भी नक्सलियों से मोहभंग हो चुका है। ऐसे में नक्सलियों के लिए हिंसक वारदातों को अंजाम देना और किसी भी कीमत पर विकास कार्यों में रोड़े अटकाना उनके वजूद का सवाल बन गया है।

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में नक्सलियों ने ऐसी ही वारदात को अंजाम दिया। दरअसल, जिले के मर्दापाल थाना क्षेत्र में मटवाल से कूधुर तक सड़क निर्माण का काम चल रहा है। नक्सली लंबे वक्त से निर्माण कार्य में बाधा पहुंचाने की फिराक में थे। मौका मिलते ही नक्सलियों का दस्ता निर्माण स्थल पर पहुंच गया और उन्होंने जमकर तांडव मचाया। नक्सलियों ने ना सिर्फ वहां काम कर रहे लोगों के साथ मारपीट की बल्कि जेसीबी को आग के हवाले कर दिया।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लगभग दो दर्जन सशस्त्र नक्सलियों ने गुंडीपदर में चल रहे सड़क निर्माण को रुकवाने के इरादे से धावा बोला। सबसे पहले नक्सलियों ने मजदूरों को बंधक बनाया। जब वहां कुछ लोगों ने विरोध किया तो नक्सलियों ने उन लोगों के साथ मारपीट की। इसके बाद सड़क निर्माण के लिए खड़ी जेसीबी को आग के हवाले कर दिया।

इससे पहले, 1 मई को नक्सलियों ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बड़ा हमला किया था। जिसमें 15 सुरक्षकर्मियों सहित 16 लोगों की मौत हो गई थी। दो गाड़ियों में करीब 25 जवान पेट्रोलिंग के लिए निकले थे। इसी दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर आईईडी ब्लास्ट किया। जिसमें से एक गाड़ी ब्लास्ट की चपेट में आ गई। गाड़ी चला रहे ड्राइवर की भी इस हमले में मौत हो गई। इससे ठीक एक दिन पहले 30 अप्रैल को कुरखेड़ा तहसील के दादापुरा गांव में नक्सलियों ने 36 वाहनों को आग लगा दी थी। ये वाहन भी सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए थे।

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