भारत-चीन सीमा विवाद: प्रधानमंत्री मोदी के चक्रव्यूह में फंसकर चीन हुआ पस्त, भारत ने एक साथ ड्रैगन के कई हितों पर किया प्रहार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) की बातचीत इस कूटनीतिक रणनीति की वह मजबूत कील थी जिसने चीन को बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर कर दिया। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने चीन की उन कमजोर नसों को दबाना शुरू किया जो इस महामारी के दौर में उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। शायद चीन के रहनुमाओं को अनुमान भी नहीं रहा होगा कि भारत उसकी ऐसी नाकेबंदी करेगा।

Narendra Modi

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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई वर्चुअल समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने दोनों देशों के आपसी संबंधों को और व्यापक बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही दोनों नेताओं ने दुनिया भर में चीन की विस्तारवादी नीति और चीन को घेरने के प्रयासों के तहत भी कई बातें हुई।  

चीन कल तक भारत को आंखें तरेर रहा था, जिसके बाद उसे सबक सिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने एक साथ कई मोर्चों पर नकेल कसने का काम किया है। जहां सीमा पर चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य तंत्र का जमावड़ा इकट्ठा कर दिया तो वही वैश्विक स्तर पर उसकी घेराबंदी करने के लिए ऐसा चक्रव्यूह रचा‚ जिसमें फड़फड़ा रहे ड्रैगन को बीच का रास्ता तलाशने की जरूरत पड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) की घेराबंदी से ड्रैगन पस्त होता नजर आ रहा है। कल तक युद्ध का डर दिखा रहा चीन अब बीच का रास्ता ढूंढने पर मजबूर है।

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विदेश मामलों के जानकारों के अनुसार‚ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) की बातचीत इस कूटनीतिक रणनीति की वह मजबूत कील थी जिसने चीन को बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर कर दिया। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने चीन की उन कमजोर नसों को दबाना शुरू किया जो इस महामारी के दौर में उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। शायद चीन के रहनुमाओं को अनुमान भी नहीं रहा होगा कि भारत उसकी ऐसी नाकेबंदी करेगा।

चीन की सबसे दुखती नस इंडो–पेसिफिक क्षेत्र है जहां उसकी महत्वाकांक्षा हिलोरे मार रही है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर वहां ऐसा दबाव बनाया जैसा चीनी नेताओं ने सोचा भी नहीं होगा। क्षेत्र में भारत‚ जापान‚ अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया का गठजोड़ चीन को बहुत भारी पड़ सकता है। यह बात शायद अब चीनी कर्ता–धर्ताओं को समझ में आने लगी है।

गौरतलब है कि अमेरिका पहले से ही इस क्षेत्र में चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार है। इसके साथ ही भारत ने चीन की दूसरी दुखती नस ताइवान और हांगकांग का समर्थन कर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया। चीन कभी भी यह नहीं चाहता है कि दक्षिण एशिया में अमेरिका और भारत की नजदीकियां बढ़े।

ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने अमेरिकी राष्ट्रपति से सीमा विवाद पर बात कर यह संदेश दे दिया कि भारत पहले की तरह चीन की बातों में फंसने वाला नहीं है।

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