गणतंत्र दिवस से पहले गृह मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी, राष्ट्रीय ध्वज को लेकर कही ये बात

एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को केवल कागज से बने झंडों के उपयोग के बारे में जन जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने और ध्वज की गरिमा बनाए रखने के लिए निजी रूप से उन्हें डिस्पोज के लिए कहा है।

Ministry of Home Affairs

फाइल फोटो।

गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी मिली है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल समारोह के दौरान कागज की जगह प्लास्टिक के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किया जा रहा है।

गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने गणतंत्र दिवस (Republic Day) को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों से आग्रह किया गया है कि वे प्लास्टिक से बने झंडे का इस्तेमाल न करें, साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से भी कहा कि वे फ्लैग कोड ऑफ इंडिया का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।

एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को केवल कागज से बने झंडों के उपयोग के बारे में जन जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने और ध्वज की गरिमा बनाए रखने के लिए निजी रूप से उन्हें डिस्पोज के लिए कहा है।

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गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी मिली है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल समारोह के दौरान कागज की जगह प्लास्टिक के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मंत्रालय ने कहा कि प्लास्टिक के बने ध्वज, कागज से बने ध्वज की तरह प्राकृतिक रूप से नहीं सड़ते हैं, ये लंबे समय तक विघटित नहीं होते। इसके अलावा प्लास्टिक से बने ध्वजों को उनकी गरिमा का ध्यान रखते हुए डिस्पोज करने में भी दिक्कत आती है।

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एडवाइजरी ने राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के प्रावधानों के तहत जनता द्वारा केवल कागज़ के झंडे का उपयोग किया जाए और झंडे को जमीन पर फेंका न जाए।

गौरतलब है कि द प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 की धारा 2 के अनुसार, “जो कोई भी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे को जलता है, उसका अपमान, विध्वंस करता है, या अवमानना ​​(चाहे शब्दों द्वारा, या तो लिखित, या कृत्यों द्वारा) उसे 3 साल तक के लिए कारावास के साथ दंडित किया जाएगा या जुर्माना भी साथ हो सकता है। “

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गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह और सम्मान है। फिर भी, लोगों के साथ-साथ सरकार के संगठनों और एजेंसियों के बीच कानूनों, प्रथाओं और सम्मेलनों के बारे में जागरूकता की एक कमी अक्सर देखी जाती है जो राष्ट्रीय ध्वज को लेकर लागू होती हैं।”

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