भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ, रक्षा मंत्रालय के डॉक्यूमेंट में बड़ा खुलासा

रक्षा मंत्रालय ने 4 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया है, जिसमें मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि मई महीने से चीन लगातार LAC (Line of Actual Control) पर अपना अतिक्रमण बढ़ाता जा रहा है।

Ministry of Defence

रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि चीनी सैनिकों ने मई में पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी।

रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि चीनी सैनिकों ने मई में पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। रक्षा मंत्रालय ने 4 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया है, जिसमें मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि मई महीने से चीन लगातार LAC (Line of Actual Control) पर अपना अतिक्रमण बढ़ाता जा रहा है, खासतौर से गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो गोगरा हॉट स्प्रिंग जैसे क्षेत्रों में।

रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के डॉक्यूमेंट के मुताबिक, चीन ने 17 से 18 मई के बीच लद्दाख में कुंगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया है। हालांकि, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘घुसपैठ’ के लिए भारत द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘अतिक्रमण’ शब्द का किसी भी आधिकारिक बयान या दस्तावेज में उल्लेख नहीं किया गया है।

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रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के इस डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि 5 मई के बाद से चीन का यह आक्रामक रूप LAC पर नजर आ रहा है। 5 और 6 मई को ही पैंगोंग त्सो भारत और चीन की सेना के बीच में झड़प हुई थी। दस्तावेज में कहा गया है कि गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है और पैदा हो रही स्थिति में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है।

इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई के अंत में एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि चीनी सैनिकों की एक बड़ी संख्या पहले की तुलना में थोड़ा आगे आ गई थी। लेकिन आधिकारिक रूप से इस बात को स्पष्ट किया गया था कि इसकी गलत तरीके से इस तरह से व्याख्या नहीं की जानी चाहिए कि चीनी सैनिकों ने एलएसी के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है।

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बता दें कि गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। जिसमें कर्नल रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। उस वक्त विदेश मंत्रालय ने कहा था कि एलएसी को पार करने की चीनी कोशिशों की वजह से सेना के बीच संघर्ष हुआ था। मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने पारंपरिक भारतीय गश्ती में बाधा डाली थी।

इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बीच दोनों देश मामले को सुलझाने के लिए सैन्य वार्ताएं कर रहे हैं। इसके तहत भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच बीते रविवार को 5वें दौर की बातचीत मोल्डो में हुई थी, जो 10 घंटे लंबी थी। इस वार्ता में भारत ने चीन को यह स्पष्ट संदेश दिया था कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।

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