पलायन से स्थिति और हो सकती है भयावह, ग्रामीण इलाकों में ज्यादा खतरा

वहीं उप्र और बिहार के गांव में कोराना वायरस (Coronavirus) का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इतनी भीड़ में कौन इस संक्रमण से संक्रमित है‚ पता करना बेहद मुश्किल है

Coronavirus

देश में छाये कोरोना (Coronavirus) कहर के बाद शहरों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के सामने रोटी-मकान की ऐसी समस्या ने जन्म लिया कि अब पैदल ही ये लोग बिहार और उप्र के दूर दराज बसे गांव में पलायन कर रहे हैं। दिल्ली‚ नोएडा‚ हरियाणा‚ फरीदाबाद से निकलकर लोग यमुना एक्सप्रेस-वे और एनएच 24 से होकर पैदल ही गांव की ओर चल पड़े हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने गांव जाने तक कुछ बसों की व्यवस्था की है। मगर मनमाना किराया के आगे लोग मजबूर हैं। कुछ लोग तो किराया देकर बसों में बैठ रहे हैं‚ जबकि कुछ लोग रास्ते में ट्रक और डग्गामार वाहनों से बैठकर जाते हुए देखे जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन (Lockdown) पूरे देश में इस वजह से लागू किया है कि लोग जहां हैं‚ वहीं रहें। मगर अब पलायन को देखते हुए यह संदेश भी बेमानी लग रहा है।

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वहीं उप्र और बिहार के गांव में कोराना वायरस (Coronavirus) का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इतनी भीड़ में कौन इस संक्रमण से संक्रमित है‚ पता करना बेहद मुश्किल है। ऐसे में इस संक्रमण से संक्रमित होने वालो की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।

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पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। इसके दूसरे दिन ही उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन के लिए प्रदेश के जिलों को लॉकडाउन (Lockdown) करने का आदेश जारी किया था।

यह आदेश अभी चल ही रहा था कि 25 मार्च को प्रधानमंत्री ने पूरे देश को 21 दिन के लिए यानि 14 अप्रैल को लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया। प्रधानमंत्री का भाषण समाप्त होते ही मानों आफत आ गई हो।

रोज खाने और रोज कमाने वाले मजदूरों ने दिल्ली और नोएडा से पैदल ही पलायन करना शुरू कर दिया। उधर लॉकडाउन के चलते प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन ने इन लोगों को घर भेजने के लिए बसें मुहैया कराना शुरू कर दिया है।

ये लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश‚ बिहार‚ झारखंड‚ उत्तराखंड समेत दूसरे प्रदेशों के रहने वाले हैं। अब इन लोगों को बसों में भारी संख्या में ठूस–ठूस कर घर भेजा जा रहा है। इससे कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

दिल्ली–नोएडा एनसीआर में दूसरे प्रदेशों के लाखों लोग रहते हैं। मगर आपदा के चलते लोग अपने गांव–घर जाने के लिए सड़कों पर निकले हुए हैं।

ऐसी भयावह स्थिति में दिल्ली–नोएडा एनसीआर पर जगह–जगह सड़कों पर स्वास्थ्य शिविर लगाने चाहिए। जिससे कि पलायन कर रहे लोगों की जांच की जा सके। इससे पता चल जाएगा कि कौन शख्स कोरोना (Coronavirus) से संक्रमित है और समय रहते हुए उनको इलाज भी मिल सकेगा और संक्रमण फैलेगा भी नहीं।

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