एमडीएच ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का निधन, ऐसा रहा तांगा चलाने से मसाला किंग तक का सफर

महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट ( जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। उन्होंने 5वीं की पढ़ाई के बाद ही स्कूल छोड़ दिया था।

Dharampal Gulati

महाशय धर्मपाल (Dharampal Gulati) का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट ( जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। उन्होंने 5वीं की पढ़ाई के बाद ही स्कूल छोड़ दिया था।

नई दिल्ली: एमडीएच ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का निधन हो गया है। वह 98 साल के थे और लंबी बीमारी की वजह से बीते कई दिनों से माता चन्नन हॉस्पिटल में एडमिट थे।

महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) के निधन पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शोक व्यक्त किया है। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया। राजनाथ ने कहा, ‘भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुख की अनुभूति हुई है। छोटे व्यवसाय से शुरू करने बावजूद उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई। वे सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’

बता दें कि महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट ( जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। उन्होंने 5वीं की पढ़ाई के बाद ही स्कूल छोड़ दिया था।

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1937 में उन्होंने अपने पिता की मदद ली और व्यापार शुरू किया। इसके बाद उन्होंने साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर और चावल का व्यापार किया। हालांकि इन कामों में उन्होंने लंबे वक्त तक काम नहीं किया।

इन सबके बाद वह अपने पिता की दुकान ‘महेशियां दी हट्टी’ में काम करने लगे। इसे देगी मिर्थ वाले के नाम से जाना जाता था। जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो वह दिल्ली आ गए और इस दौरान उनके पास केवल 1500 रुपए थे।

धर्मपाल ने इन पैसों में से 650 रुपए में एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा चलाने लगे। बाद में उन्होंने ये तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग में एक छोटा सी दुकान लगाकर मसाले बेचने लगे। मसाले का कारोबार चल निकला और धीरे-धीरे एमडीएच एक ब्रांड बन गया।

धर्मपाल ने व्यापार के अलावा कई सामाजिक काम भी किए। उन्होंने अस्पताल और स्कूल बनवाए। वे अभी तक 20 से ज्यादा स्कूल खोल चुके हैं।

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