
Makar Sankranti 2021
इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का मुहुर्त सुबह 8.30 बजे से लेकर सूर्यास्त तक है। वैसे तो सभी ग्रहों की संक्रांतिया होती हैं, परंतु उन सभी में सूर्य की संक्रांति विशेष फलदायक होती है।
Makar Sankranti 2021: आज देश भर में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे संक्रांति कहते हैं। इस नियम के अनुसार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti) होती है।
इस बार मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि भी हैं। इन पांच ग्रहों का योग पिछले 200 साल में नहीं बना। साथ ही आज पांच राजयोग बन रहे हैं। इनमें सूर्य का उत्तरायण होना बहुत शुभ माना जा रहा है।
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इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का मुहुर्त सुबह 8.30 बजे से लेकर सूर्यास्त तक है। वैसे तो सभी ग्रहों की संक्रांतिया होती हैं, परंतु उन सभी में सूर्य की संक्रांति विशेष फलदायक होती है। इसीलिए हमारे शास्त्रों में सूर्य की संक्रांति और उनमें भी मकर संक्रांति को विशेष महत्व दिया गया है। मकर संक्रांति के दिन श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दिया जा सकता है।
इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध, तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। दान वस्तुओं के क्रम में तिल , चावल, उड़द की दाल, कम्बल, उपानह, गर्म कपड़े, अग्नि, आदि दान करने तथा गरीबों को खिचड़ी खिलाने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदलती है।
मकर संक्रांति के दिन स्नान न करने वाला व्यक्ति जन्मजन्मान्तर में रोगी तथा निर्धन होता है। इस साल मकर संक्रांति पर पांच ग्रहों का विशेष योग भी बनेगा। इस बार संक्रांति का नाम मंदा है। जो कि शेर पर सवार होकर मकर में प्रवेश कर रही है। ये देव जाति की है। शरीर पर कस्तूरी का लेप, सफेद रंग के कपड़े पहने हुए, नाग केसर पुष्प की माला और हाथ में भुशुंडि शस्त्र लिए, सोने के बर्तन में भोजन करती हुई है।
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मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का यह पर्व लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है, जैसे उत्तर भारत में खिचड़ी, दक्षिण भारत में पोंगल, पंजाब और सिंध प्रदेश में लोहड़ी, गुजरात मे उत्तरायण, बंगाल में पौष संक्रांति, महाराष्ट्र और हरियाणा में माघी संक्रांति, कर्नाटक में सुग्गी हब्बा, ओडिशा में मकर चौल, असम में बिहू और कश्मीर मर शिशिर संक्रांति।
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