Madhya Pradesh: नक्सलियों ने बालाघाट, मंडला के बाद डिंडौरी में बढ़ाई सक्रियता, ये है वजह

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां (Naxal Activities) बढ़ने लगी हैं। राज्य में नक्सलियों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है।

Naxal Violence

सांकेतिक तस्वीर।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडौरी का जंगल अमरकंटक से लगा हुआ है। घने जंगलों वाले ये इलाके ही नक्सलियों के सेफ जोन हैं।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां (Naxal Activities) बढ़ने लगी हैं। राज्य में नक्सलियों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। हाल ही में राज्य पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा डिंडौरी को नक्सल प्रभावित जिला घोषित किया गया है। बीते दो दशकों में यह प्रदेश का तीसरा जिला है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ है।

इससे पहले, बालाघाट और मंडला को इसमें शामिल थे। अब नक्सलियों ने बालाघाट, मंडला के बाद डिंडौरी में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडौरी का जंगल अमरकंटक से लगा हुआ है। घने जंगलों वाले इलाके ही नक्सलियों के सेफ जोन हैं। मंडला, बालाघाट, डिंडौरी और अमरकंटक के बीच नक्सलियों के सुरक्षित कॉरिडोर के बीच कई नदियां भी हैं।

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बारिश शुरू होते ही नक्सली इन जंगलों में डेरा डाल लेते हैं और बरसात के दिनों में वहीं पर रहते हैं। आदिवासी बहुल इन इलाकों में गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा की मार झेल रहे लोगों को नक्सली अपना मोहरा बनाते हैं। अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए नक्सली उन्हें बरगलाते हैं। नक्सली समाजसेवा के नाम पर स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करते हैं।

दरअसल, पुलिस प्रशासन की पहुंच कम होने की वजह से बालाघाट, मंडला, अनूपपुर और डिंडौरी में कुछ सालों में ही नक्सलियों ने अपने नेटवर्क का पहले से ज्यादा मजबूत किया है। बता दें कि डिंडौरी जिले की सीमा बालाघाट और मंडला जिले से लगी हुई है।

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दोनों जिलों में सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ती है तो नक्सली डिंडौरी को अपना सुरक्षित ठिकाना बना लेते हैं। इसी वजह से कुछ सालों में डिंडौरी में तेजी से नक्सली मूवमेंट बढ़ा है। 2012 में डिंडौरी जिले को नक्सल सूची से हटा दिया गया था। लेकिन एकबार फिर यह नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हो गया है।

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इंस्पेक्टर जनरल (IG), (नक्सल विरोधी) फरीद शापू के अनुसार, डिंडौरी में बढ़ते नक्सली मूवमेंट की वजह से ही राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को मौजूदा परिस्थियों पर आधारित रिपोर्ट भेजी है। अब राज्य पुलिस के साथ इस जिले में भी केंद्रीय सुरक्षा बल नक्सलियों को रोकने का काम करेगा। साथ ही, केंद्र की सूची में डिंडौरी के शामिल होने के बाद देशभर में होने वाले नक्सली हमलों के तरीकों को यहां की पुलिस से साझा करने में मदद मिलेगी। स्थानीय पुलिस बल को आधुनिक हथियार मिल सकेंगे। केंद्र की योजनाओं के तहत वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

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