मध्य प्रदेश: फिर बढ़ने लगीं नक्सली गतिविधियां, हथियार सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद से अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां (Naxal Activities) बढ़ने लगी हैं। मध्य प्रदेश में तीन ऐसे जिलों की पहचान की गई जहां इनकी गतिविधियां बढ़ रही हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

हथियार मुख्य रूप से राजस्थान से खरीदे जाते थे। यहां से उन्हें महाराष्ट्र ले जाया जाता था। इसके बाद महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जिलों से इन्हें नक्सलियों तक पहुंचाया जाता था।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां (Naxal Activities) बढ़ने लगी हैं। मध्य प्रदेश में तीन ऐसे जिलों की पहचान की गई जहां इनकी गतिविधियां बढ़ रही हैं। हाल ही में राज्य पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा डिंडौरी को नक्सल प्रभावित जिला घोषित किया गया है। बीते दो दशकों में यह प्रदेश का तीसरा जिला है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ है।

इससे पहले, बालाघाट और मंडला को इस श्रेणी में रखा गया था। आदिवासी बहुल इन इलाकों में गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा की मार झेल रहे लोगों को नक्सली अपना मोहरा बनाते हैं। अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए नक्सली उन्हें बरगलाते हैं। इस बीच राज्य में नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।

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हाल ही में ऐसे गिरोह के 8 लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में पता चला कि हथियार मुख्य रूप से राजस्थान से खरीदे जाते थे। यहां से उन्हें महाराष्ट्र ले जाया जाता था। इसके बाद महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जिलों से इन्हें नक्सलियों तक पहुंचाया जाता था।

रिटायर्ड डीजीपी आरएलएस यादव के मुताबिक, हथियारों की सप्लाई के लिए महाराष्ट्र से लगने वाले बुरहानपुर, खरगोन और बड़वानी जिलों की सीमाओं का उपयोग किया जाता है। खरगोन जिले की झिरन्या तहसील का पाल क्षेत्र और बड़वानी जिले के सेंधवा की सीमा आरोपियों के लिए ज्यादा आसान होती है। यह क्षेत्र घने जंगलों वाला है। इन्हीं इलाकों में सिकलीगरों द्वारा अवैध हथियार बनाने का इतिहास रहा है। राजस्थान के गिरोह के अलावा सिकलीगर भी हथियार मुहैया कराते थे। साथ ही, आदिवासी बहुल होने के कारण समाजसेवा के नाम पर नक्सलियों का कुछ नेटवर्क भी यहां हैं।

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बता दें कि घने जंगलों वाले इलाके ही नक्सलियों के सेफ जोन हैं। मंडला, बालाघाट, डिंडौरी और अमरकंटक के बीच नक्सलियों के सुरक्षित कॉरिडोर के बीच कई नदियां भी हैं। बारिश शुरू होते ही नक्सली इन जंगलों में डेरा डाल लेते हैं और बरसात के दिनों में वहीं पर रहते हैं। नक्सली समाजसेवा के नाम पर स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करते हैं। गौरतलब है कि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा हथियार सप्लाई करने वाले गिरोह की मदद करने की बात भी सामने आई है।

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इंस्पेक्टर जनरल (IG) फरीद शापू के मुताबिक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के ट्राई-जंक्शन में सक्रिय नक्सल दलमों को अवैध हथियारों और विस्फोटक सामग्री की सप्लाई महाराष्ट्र से होती है। बीते एक साल में सात से आठ बार हथियार, विस्फोटक, नाईट विजन, बायनाकुलर, हाईरेंज टॉर्च, टेक्टिकल शूज समेत अन्य घातक सामग्री नक्सलियों तक पहुंची हैं। बालाघाट जिले में सक्रिय टांडा दलम, मलाजखण्ड दलम, दर्रेकसा दलम, विस्तार प्लाटून-02, विस्तार प्लाटून-03 और खटिया मोचा एरिया कमेटी के नक्सलियों को हथियार सप्लाई किए जा रहे हैं।

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