मध्य प्रदेश: बालाघाट के इस इलाके में बढ़ रही नक्सलियों की पैठ, प्रशासन ऐसे देगा मुंहतोड़ जवाब

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट (Balaghat) जिले का घुईटोला गांव दो जिलों की सीमा पर बसा है। आधा गांव बालाघाट में है तो सड़क का दूसरा हिस्सा मंडला जिले की सीमा पर है।

Naxal Movement

सांकेतिक तस्वीर

नक्सली (Naxalites) यहां अपनी पैठ बना रहे हैं। विस्तार दलम के गठन के बाद यह गांव नक्सलियों (Naxals) के कोरीडोर का अहम हिस्सा बन गया है।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट (Balaghat) जिले का घुईटोला गांव दो जिलों की सीमा पर बसा है। आधा गांव बालाघाट में है तो सड़क का दूसरा हिस्सा मंडला जिले की सीमा पर है। यहां अभी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ गांव वालों को मिल पा रहा है।

यह इलाका बालाघाट जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सड़क की उचित सुविधा नहीं होने की वजह से सरकारी योजनाओं के लिए ग्रामीणों का बालाघाट पहुंचना भी मुश्किल है। ऐसे में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। घुईटोला समेत कटंगी और जंगलीटोला के ग्रामीण मंडला पर आश्रित हैं।

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मंडला के रास्ते ग्रामीणों को बालाघाट आना पड़ता है। हालात ये हैं कि यहां गांव वालों की मुश्किलों का नक्सली (Naxals) फायदा उठा रहे हैं। घुईटोला गांव में अभावों के बीच नक्सलवाद (Naxalism) धीरे-धीरे पनप रहा है। बालाघाट जिले में बसा होने से मंडला की पुलिस इस गांव तक नहीं पहुंच पाती है। दूसरी तरफ यह गांव रास्ता नहीं होने से बालाघाट पुलिस की पहुंच से भी दूर है।

यहां की आबादी मंडला पर आश्रित है। नक्सली (Naxalites) यहां अपनी पैठ बना रहे हैं। विस्तार दलम के गठन के बाद यह गांव नक्सलियों (Naxals) के कोरीडोर का अहम हिस्सा बन गया है। घुईटोला भले ही बालाघाट जिले का गांव हो, लेकिन इसका सड़क संपर्क नहीं है। इसके चलते जंगल के रास्ते मंडला जिले की सीमा पर बसा यह गांव नक्सलियों के कोरीडोर का अहम हिस्सा बन रहा है।

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यहां दोनों जिलों की पुलिस की पहुंच नहीं है। ऐसे में यह गांव नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। हालांकि, इस बारे में ग्रामीण कुछ भी कहने में कतराते हैं, लेकिन उनका कहना है कि कई बार जंगलों में नक्सली (Naxals) यहां से गुजरते हैं। हालांकि, प्रशआसन इस इलाके का खास ध्यान रखकर योजना बना रही है। नक्सली लोगों को बरगलाने में कामयाब न हों, इसके लिए भी जिला प्रशासन काम कर रहा है।

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बालाघाट के कलेक्टर दीपक आर्य के मुताबिक, “इन गांवों में जाने के लिए सड़क की समस्या है, जिसके चलते यहां पहुंचना मुश्किल होता है। यहां समस्याओं के समाधान के लिए गांवों में कैंप लगाया जाएगा। सुविधाओं की कमी के नाम पर ग्रामीणों को बरगलाकर नक्सली अपने पैर न जमा सकें, इसके लिए सुविधाएं जुटाने की दिशा में काम किया जाएगा। ग्रामीणों को सभी योजनाओं का लाभ दिलाने प्रयास किए जाएंगे।”

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