बिरजू महाराज का निधन: अंताक्षरी खेलने के दौरान पड़ा दिल का दौरा, राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

पंडित बिरजू महाराज को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कालीदास सम्मान और “विश्वरूपम’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर और “बाजीराव मस्तानी” के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Birju Maharaj

Pic Credit: @indiakestar

भारतीय नृत्य शैली कथक को विश्व पटल पर ले जाने वाले और इस तक शिष्यों व प्रशंसकों की कई पीढ़ियों की पहुंच बनाने वाले प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज (Birju Maharaj) का दिल्ली के उनके आवास पर निधन हो गया। तड़के यहां अपने घर पर निधन हो गया। ‘महाराज जी’ के नाम से मशहूर बिरजू महाराज अगले महीने 84 वर्ष के हो जाते।

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बिरजू महाराज (Birju Maharaj) पोती रागिनी महाराज के अनुसार, बिरजू महाराज के निधन के वक्त उनके आस-पास परिवार के लोग और उनके शिष्य मौजूद थे। वे रात के भोजन के बाद अंताक्षरी खेल रहे थे, जब महाराज को अचानक कुछ परेशानी होने लगी।

भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं पसंदीदा कलाकारों में से एक, बृज मोहन नाथ मिश्रा (पंडित बिरजू महाराज के नाम से मशहूर) लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराना से ताल्लुक रखते थे। वह ठुमरी के भी माहिर थे और उन्होंने सत्यजीत रे की फिल्म “शतरंज के खिलाड़ी” के लिए एक गीत भी गाया था। उनके परिवार में तीन बेटियां, दो बेटे और पांच नाती-पोते हैं।

कथक नर्तक बिरजू महाराज (Birju Maharaj) किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और उच्च मधुमेह की वजह से पिछले महीने से ‘डायलिसिस’ पर थे। उनकी पोती ने बताया कि संभवत: महाराज का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ।

रागिनी के मुताबिक, बिरजू महाराज (Birju Maharaj) हमारे साथ थे, जब यह हुआ। उन्होंने रात का भोजन कर लिया था और हम ‘अंताक्षरी’ खेल रहे थे क्योंकि उन्हें पुराना संगीत बहुत पसंद था। वह लेटे हुए थे और अचानक उनकी सांसें असामान्य होने लगीं। हमें लगता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था क्योंकि वह दिल के मरीज भी थे।

रागिनी ने आगे बताया  कि यह रात में सवा बारह से साढ़े बारह बजे के बीच हुआ। बस एक या दो मिनट ऐसी स्थिति रही होगी। हम उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन दुर्भाग्य से हम उन्हें बचा नहीं पाए। अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।

खुद भी एक कथक नर्तक, रागिनी ने बताया कि परिवार के लिए राहत की बस एक बात यह है कि उन्हें अपने आखिरी वक्त में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उन्होंने कहा, “उनके दो शिष्य और दो पोतियां, मेरी छोटी बहन यशस्विनी और मैं, उनके साथ थे जब यह हुआ। वह अपने आखिरी क्षणों में हंस और मुस्कुरा रहे थे।”

कथक दिग्गज की निधन की खबरें आते ही शोक संदेशों का तांता लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिरजू महाराज बिरजू महाराज (Birju Maharaj) की मौत पूरे कला जगत के लिए “अपूरणीय क्षति” है। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।’’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, “दिग्गज पंडित बिरजू महाराज का निधन एक युग के अंत का प्रतीक है। इसने भारतीय संगीत एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में बड़ा सा खालीपन ला दिया है। वह एक प्रतीक बन गए थे, जिन्होंने कथक को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए अतुलनीय योगदान दिया। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक नृत्य के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है और उन्हें इसके लिए याद किया जाएगा।

बृजमोहन महाराज या बिरजू महाराज कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे। उन्होंने अपने पिता व गुरु अचन महाराज और चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज से प्रशिक्षण लिया।

दिवंगत पंडित जसराज की बेटी, गायिका दुर्गा जसराज ने बिरजू महाराज के निधन को “भारतीय प्रदर्शन कला के लिए “भारी नुकसान” बताया।

नर्तकी गीता चंद्रन ने भी महाराज के निधन पर शोक जताया और नृत्य की दुनिया में उनके योगदान को एतिहासिक बताया और ऐसा बताया जिसे उनके अद्भूत शिष्य एवं विद्यार्थी आगे लेकर जाएंगे।

बिरजू महाराज को फिल्म उद्योग में भी खूब पसंद किया जाता था। उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्रियों माधुरी दीक्षित को “देवदास” फिल्म के “काहे छेड़े मोहे” गीत और दीपिका पादुकोण को “बाजीराव मस्तानी” के गीत “मोहे रंग दो लाल” के लिए प्रशिक्षित किया था।

उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कालीदास सम्मान और “विश्वरूपम’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर और “बाजीराव मस्तानी” के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

साभार: भाषा

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