
Beirut Blast
विशेषज्ञों के अनुसार इतना विनाशकारी धमाका अमोनियम नाइट्रेट (Ammonium Nitrate) में आग लगने से हुआ। बेरूत बंदरगाह के वेयरहाउस में लगभग 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट मौज़ूद था।
लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को 2 शक्तिशाली विस्फोट हुए। जिसमें कई लोगों की मृत्यु हुई है और हजारों लोग घायल हुए हैं। विस्फोट इतना भयावह था कि इसकी गूंज निकोसिया शहर तक सुनी गई। निकोसिया, साइप्रस की राजधानी है, जो विस्फोट वाले स्थान से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित है। इस धमाके में जर्मनी के दूत की मौत हो गई है।
जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने कहा कि विदेश मंत्रालय में काम कर रही एक महिला कि मौत हो गई है। यह महिला धमाके वाली जगह पर स्थित अपार्टमेंट में रहती थी। यह पहली जर्मन महिला है, जिसकी मौत बेरूत बंदरगाह पर हुए विनाशकारी धमाके में हुई।
बीते मंगलवार को धमाके के बाद मशरूम आकार के धुएं का गुब्बार देखा गया था। विशेषज्ञों के अनुसार इतना विनाशकारी धमाका अमोनियम नाइट्रेट (Ammonium Nitrate) में आग लगने से हुआ। बेरूत बंदरगाह के वेयरहाउस में लगभग 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट मौजूद था। जिसमे आग लगी और शक्तिशाली विस्फोट हो गया।
विस्फोट के कारण बेरूत में लाखों लोग बेघर हुए हैं और 135 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे बंदरगाह के आस-पास का इलाका बर्बाद हो गया है। राहत की बात यह है कि धमाके में किसी भी भारतीय की मौत नहीं हुई है। भारत के पांच लोग घायल हुए हैं जिन्हे मामूली चोटें आई हैं।
विस्फोट के कारण हुए मलबे को हटाया जा रहा है। इसके लिए लेबनानी सेना के बुलडोजर लगाए गए हैं। विस्फोट के कारणों की जांच की जा रही है। जरूरी पूछताछ के लिए बंदरगाह के 16 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है। लेबनान के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2013 में जार्जिया से मोज़ाम्बिक जा रहे एक शिप ने तकनीकी कारणों से बेरुत बंदरगाह पर डॉक किया।
बेरुत में शिप का निरीक्षण करने पर उसमें 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट पाया गया। ज्वलनशील पदार्थ अमोनियम नाइट्रेट के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य न उपलब्ध करा पाने के कारण बेरुत बंदरगाह प्राधिकरण ने अमोनियम नाइट्रेट को सीज कर वेयरहाउस में रखवा दिया। संभवतः वेयरहाउस में रखे इसी अमोनियम नाइट्रेट के भंडार में आग लगने की वजह से विस्फोट हुआ।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। वह घटना कि जानकारी लेने और मदद करने बेरूत पहुंचे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई देशों ने आपातकालीन सहायता और बचाव कार्य के लिए अपनी टीमें भेजी हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों और घरेलू कारणों से लेबनान की आर्थिक स्थिति कुछ वर्षों से बहुत खराब थी। इस धमाके के बाद लेबनान की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई है। अब इसे अपने पैरों पर फिर से खड़ा होने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत पड़ेगी।
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