नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हैं ये महिला कमांडोज, जानें इनकी खासियत

नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय अब “लेडी कोबरा कमांडोज” (Lady Cobra Commandos) की छोटी-छोटी इकाइयां बनाकर अलग-अलग राज्यों में तैनात करने जा रहा है।

Lady Cobra Commandos

“लेडी कोबरा कमांडोज” (Lady Cobra Commandos) के पास बेहतरीन और अत्‍याधुनिक हथियार होते हैं, जो रात हो या दिन सभी तरह के ऑपरेशन में बेहद कारगर साबित होते हैं।

नक्सलियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय अब “लेडी कोबरा कमांडोज” (Lady Cobra Commandos) की छोटी-छोटी इकाइयां बनाकर अलग-अलग राज्यों में तैनात करने जा रहा है। बता दें कि कोबरा कमांडो में लेडी कमांडोज को पहली बार शामिल किया गया है।

जंगलों में छिपे नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए CRPF की कोबरा यूनिट पहले से ही तैनात है, लेकिन अब पहली बार कोबरा की महिला यूनिट नक्सलियों से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। इन “लेडी कोबरा कमांडोज” (Lady Cobra Commandos) की ट्रेनिंग गुरुग्राम की CRPF अकादमी में चल रही है। ट्रेनिंग के पूरी हो जाने के बाद इन कमांडोज को छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और उड़ीसा समेत नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा। 

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दरअसल, आज यानी 6 फरवरी को कोबरा की महिला यूनिट को CRPF में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया। इसमें 6 महिला बटालियनों को शामिल किया गया है। साथ ही महिला ब्रास बैंड गठित कर सांस्कृतिक क्षेत्र में भी उनकी भूमिका बढ़ाई गई है।

इस मौके पर सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. एपी माहेश्वरी ने कहा कि बल में महिला योद्धाओं का सशक्त औक सुनहरा इतिहास रहा है। इन्होंने न केवल भारत में बल्कि संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में भाग लेकर विदेशी धरती पर भी अपना लोहा मनवाया है और देश को गौरवान्वित किया है। डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि महिलाओं का बल में होना जहां एक ओर बल में विविधता लाता है, वहीं दूसरी ओर सशक्त नारी के द्वारा ही सशकेत परिवार की उत्पत्ति होती है, जिससे सशक्त राष्ट्र का निर्माण होता है।

बता दें कि साल 1986 में आज ही के दिन 88वीं महिला वाहिनी का गठन किया गया था। इस वाहिनी ने आज अपना 34वां साल पूरा कर लिया है। इस बटालियन ने देश सेवा के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भी अपना अहम योगदान दिया है। इस दौरान 7 जांबाज महिला सैनिकों ने अपनी जान तक कुर्बान कर दी है। इस बटालियन की महिला योद्धाओं को कई वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इतना ही नहीं, इन्हें शांति काल के सर्वोच्च वीरता पदक ‘अशोक चक्र’ से भी नवाजा गया है।

कोबरा कमांडोज अपनी तेज फुर्ती, चाल, दुश्मनों पर जबरदस्त आक्रमण के लिए जाने जाते हैं। ये बटालियन विशेष रूप से उन इलाकों में तैनात की जाती है जो नक्सलियों के कोर इलाके हैं। कोबरा कमांडोज घने जंगलों में घुसकर नक्सलियों से लोहा लेते हैं और उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। ये गोरिल्ला वॉर के लिए जाने जाते हैं। कोबरा बटालियन के लिए कमांडोज सीआरपीएफ जवानों में से चयनित किए जाते हैं, जिसके बाद इन जवानों को तीन महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।

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इस बीच इन्हें आक्रमण के नए पैतरों और तरीकों को सिखाया जाता है। इन्हें फौलाद की तरह मजबूत बनाया जाता है। इतना ही नहीं “लेडी कोबरा कमांडोज” (Lady Cobra Commandos) के पास बेहतरीन और अत्‍याधुनिक हथियार होते हैं, जो रात हो या दिन सभी तरह के ऑपरेशन में बेहद कारगर साबित होते हैं।

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इनके पास इंसास राइफल, एके राइफल्‍स, X-95 असाल्‍ट राइफल्‍स, हाईपावर ब्रॉनिंग, ग्‍लॉक पिस्‍टल, हैकलर और कोच एमपी 5 सब‍मशीनगन, कार्ल गुस्‍ताव राइफल्‍स जैसे आधुनिक हथियार होते हैं। बता दें कि CRPF में खुफिया सूचना के आधार पर जंगल में चलाए जाने वाले अभियानों के लिए “कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन” (कोबरा) की 12 हजार जवानों की 10 इकाइयां हैं।

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