प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने उठाए सवाल, जानें क्या है फिंगर-4 और देपसांग इलाके का विवाद

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 11 फरवरी को संसद में चीन के साथ समझौते का ऐलान किया। इसके बाद शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी सामने आ गईं।

Depsang

फाइल फोटो।

भारत की नजर देपसांग (Depsang) के विवाद पर भी है, जो साल 2013 में हुआ था। इस इलाके में भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 11 फरवरी को संसद में चीन के साथ समझौते का ऐलान किया। इसके बाद शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी सामने आ गईं। दोनों देशों के बीच पैंगोंग लेक (Pangong Tso) को लेकर समझौता हो गया है और अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति लागू करने की कोशिश है।

लेकिन अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) ने कुछ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार पर आरोप लगाया है कि जमीन चीन को सौंप दी गई है। 12 फरवरी को राहुल गांधी ने चीन मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस सांसद ने सवाल किया कि हमारी जगह जो पहले फिंगर 4 पर थी, लेकिन सरकार ने अब फिंगर 3 पर सहमति क्यों दी? प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने भारतीय जमीन को चीन के हवाले क्यों दिया?

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राहुल गांधी ने देपसांग (Depsang) मसले पर भी कहा कि वहां से चीनी सेना पीछे क्यों नहीं हटी है? ये साफ है कि देश के प्रधानमंत्री ने भारत की पवित्र जमीन चीन को पकड़ा दी है। राहुल बोले कि पीएम मोदी ने चीन के सामने माथा टेक दिया है।

बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक, दोनों देशों के सेनाएं पूर्वी लद्दाख की सीमाओं से अपने जवानों को पीछे हटाएंगी इसके तहत चीन पैंगोंग लेक की फिंगर 9 तक जाएगा, भारत फिंगर 3 की धन सिंह थापा पोस्ट तक रहेगा।

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नॉर्थ बैंक के अलावा साउथ बैंक पर मौजूद जवानों को भी पीछे हटाया जाएगा। जब तक ये प्रक्रिया चलेगी तबतक कुछ वक्त के लिए दोनों देश लेक में पैट्रोलिंग नहीं करेंगे। दोनों देशों की सेनाओं ने अबतक कई दौर की बातचीत की है, ऐसे में उसी के अनुसार दोनों सेनाएं अपने जवानों को पीछे हटाएंगे।

अब बात करते हैं कि LAC पर असल में स्थिति क्या है? दरअसल, इस इलाके में भारत के पास राचिन ला पहाड़ी पर अधिकार है, जिससे चीन को चिढ़ मचती है। क्योंकि भारतीय सेना इसके सहारे चीन की पूरी सेना और बेस पर नजर रख सकती है। वहीं, देपसांग (Depsang) इलाके की बात करें तो चीन यहां पर मजबूत हुआ है, लेकिन मौजूदा विवाद कुछ अतिरिक्त निर्माण और टैंक की तैनाती का है।

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बॉर्डर की व्यापक स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि, चीन 1962 से ही लद्दाख की 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर अनाधिकृत रूप से कब्जा किए हुए है। इसके अलावा PoK की भी करीब 5180 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर भी चीन का कब्जा है।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग लेक के इलाके में भारत और चीन आमने-सामने आते हैं। पैंगोंग लेक करीब 134 किलोमीटर लंबी है, जो समुद्री तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है। इस पूरी लेक के दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है, जबकि करीब 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत के पास है।

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ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ था, जब भारतीय सेना ने फिंगर 4 से आगे पेट्रोलिंग की थी, जबकि चीन की ओर से फिंगर 2 तक आने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं, 1999 में चीन ने फिंगर 4 के पास अपनी एक सड़क भी बना ली थी, लेकिन भारत के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है। मौजूदा वक्त में जो समझौता हुआ है, उसका मुख्य फोकस पैंगोंग लेक पर जारी विवाद को खत्म करने का है।

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लेकिन भारत की नजर देपसांग (Depsang) के विवाद पर भी है, जो साल 2013 में हुआ था। इस इलाके में भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और स्थिति काफी संवेदनशील रहती है। यही वो इलाका है, जहां पर बीते साल गोली चलने की घटना सामने आई थी। भारत यहां पर कैलाश रेंज पर अपनी नजर रखे हुए है। साथ ही हॉट स्प्रिंग, घोघरा जैसे विवादित स्थान को लेकर भी आने वाली भारत और चीन सेनाओं के बीच की बैठक में चर्चा होगी।

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