
25 सितंबर को P-8 पोसाइडन एयरक्राफ्ट ने पोर्ट ब्लेयर में लैंड किया। लॉयह P-8 (P-8 Poseidon Aircraft) एयरक्राफ्ट कई हथियारों से लैस था।
भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव के बीच अमेरिका (America) के पेट्रोलिंग जहाज ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से ईंधन भरना शुरू कर दिया है। 25 सितंबर को P-8 पोसाइडन एयरक्राफ्ट ने पोर्ट ब्लेयर में लैंड किया। लॉयह P-8 (P-8 Poseidon Aircraft) एयरक्राफ्ट कई हथियारों से लैस था।
इसमें दुश्मन के पनडुब्बियों और युद्धपोतों से निपटने के लिए मिसाइल और रॉकेट मौजूद थे साथ यह अत्याधुनिक राडार से भी युक्त था। सूत्रों ने बताया कि यह विमान 25 सितंबर को पोर्ट ब्लेयर में कई घंटों तक रुका था। भारत और अमेरिका 2016 में हुए समझौते के तहत एक-दूसरे के जंगी जहाजों पर, रिफ्यूलिंग और ऑपरेशनल टर्नअराउंड सुविधाएं मुहैया कराते रहे हैं।
पर यह पहली बार है जब अंडमान निकोबार बेस पर अमेरिकी सेना का जहाज उतरा हो। यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि हिंद महासागर क्षेत्र में अंडमान के पास ही भारत और चीन ने हाल ही में अभ्यास किया है। यह इलाका चीन की सप्लाई लाइन के लिए बेहद अहम है।
लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) के अनुसार, भारतीय जंगी जहाजों और एयरक्राफ्ट्स को जिबूती, डिएगो ग्रेसिया, गुआम और स्यूबिक बे के अमेरिकी बेसेज पर एक्सेस मिलता है। जुलाई में चीन को एक रणनीतिक संकेत में भारत के जंगी जहाजों ने दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ अभ्यास किया था।
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भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने बोइंग के बनाए P-8I (I- इंडिया) एयरक्राफ्ट अपने बेड़े में शामिल किए हैं। जनवरी 2009 में 2.1 बिलियन डॉलर में यह डील हुई थी। चार और P-8I एयरक्राफ्ट इस साल दिसंबर से आने शुरू हो जाएंगे। इनके लिए जुलाई 2016 में 1.1 बिलियन डॉलर का एक और कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।
हिंद महासागर और अरब सागर में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की बढ़ती घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिका नये बोइंग P-8I निगरानी विमानों का जत्था भारत जल्द ही देने वाला है। इन नए P-8I विमानों को कई नई तकनीकि और हथियारों से लैस किया गया है। इन विमानों को भारत के पश्चिमी तट पर गोवा में हंसा नेवल बेस पर तैनात किया जाएगा।
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भारत के पास पहले से ही 8 P-8 आई विमान मौजूद हैं, जिन्हें तमिलनाडु के अरक्कोनम में तैनात किया गया है। अत्याधुनिक रेडार से लैस ये विमान जरूरत पड़ने पर चीनी सीमा पर लद्दाख और पूर्वोत्तर में भी भेजे जाते हैं। इन विमानों को सबमरीन का शिकार करने के लिए मार्क-54 तारपीडो, मार्क-84 डेप्थ चार्ज और घातक बमों से लैस किया गया है।
इसके अलावा इस विमान में एजीएम-84 हार्पून एंटी शिप मिसाइलें भी लगाई गई हैं। P-8 आई को कैरियर बैटल ग्रुप की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा छह प्रीडेटर-बी आर्म्ड ड्रोन्स को खरीदने की प्रक्रिया भी फास्ट-ट्रैक कर दी गई है। भारत ने P-8I एयरक्राफ्ट्स को हिंद महासागर में सर्विलांस के अलावा पूर्वी लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पर नजर रखने के लिए भी तैनात किया है।
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मई की शुरुआत में चीन के साथ पैदा हुए तनाव के चलते, भारत के जंगी जहाज और पनडुब्बियां भी ऐक्टिव मोड में हैं। सितंबर, 2018 में भारत और अमेरिका के बीच COMCASA (कम्युनिकेशंस, कम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्योरिटी अरेंजमेंट) समझौता हुआ था। इससे भी दोनों देशों के बीच सैन्य और संचार तकनीकों के लेन-देन का रास्ता साफ हुआ है।
चीन के साथ टकराव के बीच ही जुलाई में भारत और अमेरिका की नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के तट पर युद्धाभ्यास किया था। वहीं हिंद महासागर में भी दोनों देशों की सेनाओं ने युद्धाभ्यास किया था और भारत की आईएनएस तलवार ने उस समय अमेरिकी टैंकर से फ्यूल भी लिया था।
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यह वही विमान है जो अमेरिका भारत को सौंपने वाला है। अमेरिकी गश्ती विमान का अंडमान और निकोबार में उतरना चीन को खटक सकता है, क्योंकि पोर्ट ब्लेयर भारत के लिए सामरिक महत्व भी रखता है। चीन के साथ टकराव की स्थिति में पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट फाइटर जेट के उड़ान भरने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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