भारत-चीन के बीच LAC पर 11वें दौर की वार्ता, पूर्वी लद्दाख के सभी हिस्सों से सैनिकों की वापसी पर दिया गया जोर

भारत (India) और चीन (China) के सैन्य कमांडरों के बीच एलएसी (LAC) पर कायम गतिरोध को खत्म करने को लेकर 9 अप्रैल को 11वें दौर की वार्ता हुई।

PLA Troops

File Photo

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा क्षेत्र पर भारत (India) और चीन (China) के सैन्य कमांडरों के बीच 11वें दौर की वार्ता करीब 16 घंटे चली।

भारत (India) और चीन (China) के सैन्य कमांडरों के बीच एलएसी (LAC) पर कायम गतिरोध को खत्म करने को लेकर 9 अप्रैल को 11वें दौर की वार्ता हुई। इस सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया।

सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा क्षेत्र पर वार्ता करीब 16 घंटे चली। इस दौरान भारत की तरफ से दो टूक कहा गया है कि चीनी अपनी सेना को गोगरा, हॉट स्प्रिंग तथा डेप्सांग से भी पीछे हटाए और पिछले साल मई से पूर्व की स्थिति बहाल करे।

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बता दें कि पैंगोंग लेक (Pangong Tso) इलाके में दोनों सेनाओं की वापसी के बावजूद कुछ अन्य क्षेत्रों में गतिरोध अभी कायम है। इससे पहले दसवें दौर की सैन्य वार्ता 20 फरवरी को हुई थी। इससे दो दिन पहले दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं।

9 अप्रैल को शुरू हुई वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की। हाल ही में सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पैंगोग झील के आसपास के इलाके से सैनिकों के पीछे हटने से भारत को खतरा कम तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।

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गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल जून में एलएसी (LAC) पर पैंगोंग झील के पास हुई हिंसक झड़प के चलते तनाव पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी। कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जताई थी। इस दौरान चीन ने टैंक समेत अन्य हथियार को भी वापस हटाया था।

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