LAC पर हुई फायरिंग में चीन ने किस समझौते को तोड़ा? यहां जानें पूरा मामला

LAC पर फायरिंग की इस घटना से पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई थी, जहां चीनी सैनिकों ने विश्वासघात किया था और भारतीय जवानों पर गोलियां चलाई थीं।

Global Times

LAC पर फायरिंग की इस घटना से पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई थी, जहां चीनी सैनिकों ने भारत के साथ विश्वासघात किया था।

लद्दाख में पेंगोंग झील के दक्षिण इलाके में 7-8 सितंबर की रात हुआ फायरिंग की घटना पर भारत-चीन के बीच तनाव और बढ़ गया है। हालांकि भारतीय सेना (Indian Army) बयान जारी कर चीन (China) की पोल खोल दी है। चीन के दावों को पूरी तरह झुठलाते हुए भारत ने कहा कि पीएलए के जवानों ने उकसावे की कार्रवाई की।

भारतीय सेना ने साफ कहा कि उसने लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पार नहीं की और न ही गोलियां चलाईं। सेना ने कहा कि चीन की पीएलए बातचीत जारी रहने के बावजूद समझौतों का उल्‍लंघन कर रही है। बता दें कि 7 सितंबर की रात चीनी सेना ने दावा किया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करते हुए फायरिंग की।

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जिसके जवाब में 8 सितंबर को भारतीय सेना ने कहा कि ड्रैगन की सेना ने खुद फायरिंग की और आरोप हम पर लगा रहा है। बहरहाल, यह फायरिंग चीन ने खुद की है। लेकिन LAC पर फायरिंग की इस घटना से पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई थी, जहां चीनी सैनिकों ने विश्वासघात किया था और भारतीय जवानों पर गोलियां चलाई थीं।

इस फायरिंग में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर जोर दिया गया और साल 1993 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ। यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की चीन यात्रा के दौरान किया गया था।

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साल 1993 के समझौते के मुख्य बिंदु कुछ इस तरह हैं- पहला, LAC के जरिए विश्वास बहाली पर काम किया जाएगा। दूसरा, जिन क्षेत्रों पर सहमति बनी है वहां किसी भी तरफ से मिलिट्री गतिविधियां नहीं की जाएंगी। तीसरा, LAC के पास अगर सैन्य अभ्यास किया जाता है दोनों देश इसकी सूचना पहले ही साझा करेंगे।

चौथा, दोनों देशों की वायुसेना हवाई सीमा में घुसपैठ नहीं करेंगी। पांचवां, LAC के आसपास एयरफोर्स के अभ्यास पर संभावित प्रतिबंधों पर दोनों पक्ष विचार करेंगे और छठां, बॉर्डर के मुद्दों का हल तलाशने के लिए एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा। हालांकि, इस समझौते के बाद चीन और भारत के बीच 29 नवंबर, 1996 को भी एक समझौते पर साइन हुआ था।

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इस समझौते में इस बात पर जोर दिया गया था कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ किसी ताकत का प्रयोग नहीं करेंगे और न ही ऐसा करने की धमकी देंगे। समझौते में ये बात भी थी कि LAC पर तैनात भारत या चीन किसी भी देश की सेना किसी पर हमला नहीं करेगी, न धमकी देगी, ताकि शांति को खतरा पैदा न हो। इस समझौते के अनुच्छेद 6 में इस बात पर जोर दिया गया है कि LAC के दो किमी के दायरे में कोई भी सेना फायरिंग, जैविक हथियार, केमिकल, ब्लास्ट या बंदूकों से हमला नहीं करेगा।

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