किसान आंदोलन हुआ और तेज, जानें कौन हैं दिल्ली पुलिस में SI रहे राकेश टिकैत जिनको हासिल है किसानों का इतना बड़ा समर्थन

साल 1985 में राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) दिल्ली पुलिस में एसआई यानी सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हो गए थे। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर  महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था।

Rakesh Tikait

Rakesh Tikait

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून, 1969 को हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है।

बीते करीब दो महीने से किसान आंदोलन (Farmers Protest) जारी है। यह आंदोलन किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) समेत कुछ अन्य नेताओं के नेतृत्व में चल रहा है। हालांकि, 26 जनवरी के दिन दिल्ली के लाल किले पर हुए उपद्रव के बाद पुलिस काफी सख्त हो गई थी। धरना स्थल से किसानों को हटाने की कोशिश की गई।

28 जनवरी की रात भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया। इस बीच काफी किसान वापस भी जा चुके थे, पर 28 जनवरी की रात कुछ ऐसा हुआ कि यूपी, हरियाणा और पंजाब से किसानों का हुजूम आधी रात को ही दिल्ली के लिए निकाल पड़ा। कुछ किसान रात को ही दिल्ली पहुंच गए तो कुछ 29 जनवरी सुबह होते ही यहां आ गए।

दरअसल, मीडिया से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर किसानों के साथ ज्यादती करने का आरोप लगाया। इस दौरान वे काफी भावुक हो गए। उनका यह वीडियो कुछ मिनटों में ही वायरल हो गया। इसके बाद यूपी, हरियाणा और पंजाब से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के लिए कूच कर गए। तो आइए जानते हैं कौन हैं राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) जिनको किसानों का इतना बड़ा समर्थन हासिल है?

BKU के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे: राकेश बड़े किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) के दूसरे बेटे हैं। महेंद्र सिंह टिकैत ने एक नहीं कई बार केंद्र और राज्य की सरकारों को अपनी मांगों के आगे झुकने को मजबूर किया। महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

जब BKU के अध्यक्ष बने महेंद्र सिंह टिकैत: भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में उस समय रखी गई थी, जब बिजली के दाम को लेकर किसानों ने शामली जनपद के करमुखेड़ी में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन किया था। इसमें दो किसान जयपाल और अकबर पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे। उसके बाद ही भारतीय किसान यूनियन (BKU) का गठन किया गया और अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बने थे। इसके बाद महेंद्र टिकैत किसानों के हक की लड़ाई जीवन भर करते रहे।

उनकी छवि किसानों के मसीहा के तौर पर बन गई। महेंद्र सिंह टिकैत के चार बेटे और दो बेटियां हैं। महेंद्र सिंह टिकैत के सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, दूसरे नंबर पर राकेश टिकैत, जो किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। तीसरे बेटे सुरेंद्र टिकैत हैं, जो मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं। वहीं, सबसे छोटे बेटे नरेंद्र टिकैत खेती का काम करते हैं।

दिल्ली पुलिस में SI थे राकेश टिकैत: राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून, 1969 को हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है। उसके बाद एलएलबी किया। 1985 में राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में एसआई (सब इंस्पेक्टर) के तौर पर भर्ती हो गए थे। इसी दौरान 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर  महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था। सरकार की ओर से राकेश टिकैत पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत से आंदोलन खत्म कराने का दबाव बना।

नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए: ऐसे में राकेश टिकैत उसी समय पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे। इसके बाद से ही किसान राजनीति का हिस्सा बन गए और इसके बाद उन्हें महेंद्र सिंह के किसान सियासत के वारिस के तौर पर देखा जाने लगा।

BKU की कमान नरेश टिकैत को, राकेश बने राष्ट्रीय प्रवक्ता:  15 मई, 2011 को महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मौत हो गई। उसके बाद बड़े बेटे चौधरी नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन (BKU) का अध्यक्ष बनाया गया और राकेश टिकैत को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी मिली।

राकेश टिकैत ही लेते हैं अहम फैसले: महेंद्र सिंह टिकैत बालियान खाप से आते थे। इसलिए उनकी मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया, क्योंकि खाप के नियमों के मुताबिक बड़ा बेटा ही मुखिया हो सकता है। हालांकि, नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले वही लेते हैं।

44 बार जेल जा चुके हैं राकेश टिकैत: किसानों की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) 44 बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में एक समय किसान के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। इसके बाद दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, गन्ना जला दिया था, जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।

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राजस्थान में भी किसानों के हित में बाजरे के मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की थी, सरकार द्वारा मांग न मानने पर टिकैत ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जिस वजह से उन्हें जयपुर जेल में जाना पड़ा था। अब एक बार फिर से दिल्ली में 26 जनवरी के दिन हुए उपद्रव के मामले में उन्हें नोटिस दिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।

राजनीति में भी आजमाई किस्मत: राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी आने की कोशिश की है। पहली बार 2007 मे उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उसके बाद राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने 2014 में अमरोहा से राकेश टिकैत को लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। हालांकि, दोनों ही चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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