अमेरिका में किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी अलगाववादियों ने महात्मा गांधी का किया अनादर

खालिस्तान समर्थक सिख (Khalistan Supporters) हाथों में कृपाण लिए महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आए और उस पर एक पोस्टर चिपका दिया। इस ग्रूप ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।

Khalistan Supporters

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भारत में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में अमेरिका में सिख–अमेरिकी युवाओं ने प्रदर्शन किया और इस दौरान खालिस्तानी अलगाववादियों (Khalistan Supporters) ने अमेरिका में भारतीय दूतावास के बाहर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर किया।

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ग्रेटर वाशिंगटन डीसी‚ मैरीलैंड और वर्जीनिया के अलावा न्यूयॉर्क‚ न्यूजर्सी‚ पेंसिल्वेनिया‚ इंडियाना‚ ओहायो और नॉर्थ कैरोलाइना जैसे राज्यों से आए सैंकडों सिखों ने वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास तक कार रैली निकाली। इसी दौरान भारत विरोधी पोस्टरों और बैनरों के साथ खालिस्तानी झंडे लिए कुछ सिख वहां आए। इनमें से कुछ खालिस्तान समर्थक सिख (Khalistan Supporters) हाथों में कृपाण लिए महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आए और उस पर एक पोस्टर चिपका दिया। इस ग्रूप ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।

भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर ‘प्रदर्शनकारियों के रूप में गुंडागर्दी करने वाले लोगों के इस दुष्ट कृत्य’ की निंदा की। दूतावास ने कहा कि उसने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष इस संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराया है और अपराधियों (Khalistan Supporters) के खिलाफ जांच और कानून के तहत कार्रवाई के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मामला उठाया है। जब ये घटना हुई‚ उस समय वाशिंगटन डीसी पुलिस और सीक्रेट सर्विस के कर्मचारी बड़ी संख्या में वहीं पर मौजूद थे।

इसके करीब आधे घंटे बाद खालिस्तानी समर्थकों (Khalistan Supporters) के एक अन्य ग्रूप ने गांधी जी की प्रतिमा के गले में रस्सी की मदद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोस्टर बांध दिया। इसके एक घंटे से भी अधिक समय बाद सीक्रेट सर्विस का एक एजेंट प्रतिमा की ओर आता दिखाई दिया और उसने खालिस्तान समर्थकों से कहा कि वे कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इसी साल 26 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया था‚ जिसके अनुसार अमेरिका में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या किसी स्मारक का अनादर करने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है।

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