राष्ट्रपिता की ताकत थीं कस्तूरबा गांधी, पूरी दुनिया उन्हें ‘बा’ कहती है

Kasturba Gandhi

कस्तूरबा गांधी (Kasturba Gandhi) ने साउथ अफ्रीका में भारतीय लोगों की काम करने संबंधी अमानवीय परिस्थितियों के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और विरोध प्रदर्शन किया। उन्हें गिरफ्तार करके 3 माह के लिए जेल में डाल दिया गया, जहां कैदियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। बाद में भारत में जब कभी गांधीजी को कारागार में डाल दिया जाता, तो उन्हें अपने पति का स्थान लेना पड़ा।

Kasturba Gandhi

कस्तूरबा गांधी (Kasturba Gandhi) को प्यार से मां कहा जाता है। उनका जन्म 11 अप्रैल 1869 को हुआ था। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थी। भारत के लोग महात्मा गांधी को बापू जी अर्थात पिता कहते है। मई 1883 में उनका विवाह हुआ था। उस समय उन दोनों की आयु केवल 13 वर्ष की थी। उनके 4 पुत्र हुए- हरिलाल 1888, मणिलाल 1892, रामदास 1897, देवदास 1900। उनके पिता गोकुलदास मखारजी पोरबंदर के एक व्यापारी थे।

कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) एक धनी परिवार से थी। समृद्ध परिवार से संबंध रखने के बावजूद उन्हें शिक्षा नहीं दिलाई गई। उस समय महिलाओं के लिए शिक्षित होना आवश्यक नहीं समझा जाता था। उन्हें केवल घर का कामकाज करना होता था। विवाह के पश्चात उनके पति ने उन्हें पढ़ना और लिखना सिखाया। उन दिनों महिलाओं की स्थिति को देखते हुए यह एक क्रांतिकारी कदम था। सन 1888 में गांधीजी जब पढ़ने के लिए लंदन गए, तब वह अपने नवजात पुत्र की देखभाल के लिए भारत में ही रहीं।

राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) अक्सर अपने पति का साथ देती थी। सन 1897 में भी अपने पति के साथ दक्षिण अफ्रीका गई। डरबन के निकट फिनिक्स बस्ती में हुए सन 1904 से 1914 तक सक्रिय रही। सन 1913 में उन्होंने साउथ अफ्रीका में भारतीय लोगों की काम करने संबंधी अमानवीय परिस्थितियों के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और विरोध प्रदर्शन किया। कस्तूरबा को गिरफ्तार करके 3 माह के लिए जेल में डाल दिया गया, जहां कैदियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। बाद में भारत में जब कभी गांधीजी को कारागार में डाल दिया जाता, तो उन्हें अपने पति का स्थान लेना पड़ा। सन 1915 में जब गांधीजी नील की खेती करने वालों का समर्थन करने के लिए भारत लौट आए तो कस्तूरबा उनके साथ रहे और उनके कार्यों में बराबर उनका हाथ बताती रही। कस्तूरबा ने औरतों और बच्चों को स्वच्छता स्वास्थ्य अनुशासन पढ़ने लिखने संबंधी मूल बातों की शिक्षा दी।

मोहनदास गांधी ने ब्रह्मचर्य का पालन करने का व्रत लिया, तो कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) ने उनके विचार को सहजता से स्वीकार नहीं किया। जब गांधी जी ने उन्हें अपने दृष्टिकोण का खुलासा किया, तब अपने पति की राय से सहमत हो गई। तत्पश्चात दोनों ब्रह्मचर्य व्रत का पारण करने लगे। कस्तूरबा बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति महिला की ठीक अपने पति की तरह। जाने का निर्णय लिया।

इतिहास में आज का दिन – 22 फरवरी

कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) ने कुछ अपने ही ढंग से स्वयं को परिस्थिति के अनुकूल ढाल लिया था, लेकिन दुख की बात है कि उन्हें कभी सम्मान नहीं मिला, जिसकी वे हकदार थी। उन्होंने कभी स्वाधीनता की भावना नहीं दर्शाई। एक बार तो गांधी जी ने उन्हें क्रोधावेश घर से बाहर निकाल दिया था, गांधी जी ने उनसे कहा था कि आश्रम में वे सब छोटे-मोटे कार्य उन्हें भी करनी चाहिए जो हर कोई करता है। अलग ही उन्होंने बात मान ली थी फिर भी शौचालयों को साफ करने जैसे काम करने में उन्हें संकोच होता था। बाद में उन्होंने बिल्कुल मना कर दिया अपने बेटों की देखभाल करने के मामले में भी दोनों के विचार नहीं मिलते थे। दूसरों की तरह कस्तूरबा का भी मानना था कि पिता द्वारा पुत्र की उपेक्षा की जा रही है। दूसरी और गांधीजी का यह मत था कि उनके अपने पुत्रों और दूसरों के पुत्रों में कोई अंतर नहीं है और वे किन्ही विशेष सुविधाओं के हकदार नहीं हैं।

कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) ने अपने पति के निर्णय का पूरा समर्थन किया और उनके काम में पूरा साथ दिया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के काम के हालात में सुधार की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में भी कस्तूरबा ने ऐसा कोई रास्ता निकालने में गांधीजी की मदद की, जिससे वे दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को अपना प्रतिनिधित्व स्वयं करने का अधिकार दिला सकें। बाद में भी अनेक ऐसे अवसर आए जब भारत में उन्हें गांधीजी के कारावास के दौरान उनकी जगह काम करना पड़ा उन विराम भारत में आजादी की लड़ाई के साथ वे हमेशा जुड़ी रही और महिला कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करती रही।

Kasturba Gandhi

गांधीजी की दैनिक आवश्यकताओं की देखभाल कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) ही करती थी । ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के बाद कस्तूरबा पुणे के ‘आगा खान पैलेस’ में नजरबंद अपने पति की सेवा में लगे रहीं।

‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और आश्रम जीवन से उत्पन्न तनाव के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। उनकी श्वास नली में बहुत सूजन आ गई और उन्हें निमोनिया हो गया। विशेषकर उनके सबसे बड़े पुत्र हरिलाल ने उन्हें बहुत दुख पहुंचाया । उनकी बीमारी के दौरान व सिर्फ एक बार उन्हें देखने पहुंचा । वह काफी लंबे समय बाद आया था । उसे देखकर कस्तूरबा की आंखों में आंसू बहने लगे।

बा को जब निमोनिया हुआ तब उनके पति मोहनदास गांधी जेल में थे। उन्होंने पेनिसिलिन लेने से मना कर दिया और विराम 22 फरवरी 1944 को भीषण हृदयाघात के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उस समय गांधी जी उनके पास थे।

कस्तूरबा (Kasturba Gandhi) के निधन के समय लिए गए चित्रों में, गांधीजी एक कोने में सिमटे बैठे हैं बहुत ही दुखी अवस्था में, मानो उनके अस्तित्व का एक पहलू समाप्त हो गया हो! कस्तूरबा सदैव उनकी स्तुत्य पत्नी रहे। उन दोनों के बीच एक असाधारण संबंध था।

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