Kargil Vijay Diwas: आज है ‘कारगिल विजय दिवस’ की 22वीं वर्षगांठ, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी ने किया सेना के शौर्य को सलाम

आज कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारत की जीत को 22 साल पूरे हो गए हैं। इस दिन को ‘कारगिल विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।

Kargil War

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हर साल 26 जुलाई को ‘विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम नेताओं ने इस दिन पर सेना के शौर्य को सलाम किया है।

आज कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारत की जीत को 22 साल पूरे हो गए हैं। इस दिन को ‘कारगिल विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। यह भारतीय सेना (Indian Army) का पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लगातार चौथी जीत थी।

एक ओर घुसपैठिए पहाड़ियों की चोटी पर कब्जा जमाए बैठे थे, वहीं दूसरी ओर भारतीय वीर सपूत नीचे समतल मैदानों में थे या यूं कहें कि भारतीय सेना, पाकिस्तानी घुसपैठियों के लिए बहुत ही आसान टारगेट थी। पर यहीं भारतीय सेना ने अपनी शौर्य गाथा लिखी। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे।

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भारतीय सेना ने कई किलोमीटर चलकर दुश्मनों के ठिकानों पर पहुंचकर जवाबी हमला बोला था। हमारे जवान रात में पहाड़ों पर चढ़ाई करते थे ताकि दुश्मन उनपर हमला न कर दें। इस दौरान ऊंचाई पर हथियारों को भी ढोया गया था। दुश्मन के सामने हम किसी भी तरह कमजोर साबित न हो इसके लिए पूरा दमखम लगा दिया गया था।

बता दें कि कारगिल की पहाड़ी विश्व की सबसे ऊंची पहाड़ियों में गिनी जाती है। यहां पर सर्दी में कड़ाके की ठंड पड़ती है, इस वजह से दोनों देश अपनी-अपनी सेनाएं पीछे बुला लेते हैं। पर 1999 में पाक सेना ने ऐसा नहीं किया था। पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखे जाने की पुष्टि हुई थी। एक चरवाहे ने सेना को घुसपैठ की जानकारी दी थी।

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दुश्मनों की ओर से 5,000 से ज्यादा सैनिक कारगिल पर कब्जा करने के लिए भेजे गए थे। भारी संख्या में आए पाक सेना के जवानों ने कारगिल के उन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था जिन्हें सर्दियों के दौरान भारतीय सेना खाली कर देती है। दोनों देशों के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत तय हुआ था कि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले स्थानों पर मौजूद एलओसी को छोड़कर कम बर्फीले स्थान पर चली जाएंगी।

भारतीय सेना ने तो ऐसा ही किया लेकिन पाकिस्तानी सेना धोखे से हमारे खाली इलाकों में घुस गई थी। 5,000 से ज्यादा सैनिक कारगिल पर चढ़ाई कर चुके थे। भनक लगते ही सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ लॉन्च कर दिया। फिर क्या था, एक-एक कर दुश्मनों को कब्जे वाली पोस्टों से खदेड़ा गया। युद्ध करीब 40 दिन चला था।

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26 जुलाई, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस युद्ध में भारत की जीत का ऐलान किया था। तब से हर साल 26 जुलाई को ‘विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम नेताओं ने इस दिन पर सेना के शौर्य को सलाम किया है।

उधर, जोजिला में खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ‘कारगिल विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) पर द्रास नहीं पहुंच पाए। उन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैनिकों को बारामुला स्थित डैगर युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

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बता दें कि 25 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 4 दिवसीय दौरे के पहले दिन कश्मीर पहुंच थे। 26 जुलाई को  ‘कारगिल विजय दिवस’ (Kargil Vijay Diwas) की 22वीं वर्षगांठ पर द्रास में स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल में राष्ट्रपति का कार्यक्रम था। सुबह करीब 9.45 बजे उन्हें कारगिल वॉर मेमोरियल पहुंचना था। खराब मौसम के कारण वह द्रास नहीं पहुंच पाए। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर भारतीय सेना के शौर्य को सलाम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि आज करगिल दिवस के मौके पर हम उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। उनकी बहादुरी हमें हर दिन प्रेरणा देती है।

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