कानपुर: ताबड़तोड़ फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी शहीद, जानें कौन है हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे

दुबे साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। दुबे राजनीतिक सरपरस्ती में पला बढ़ा था। राजनीतिक गलियारों में अच्छी पकड़ होने की वजह से विकास पुलिस से खुद को बचाकर रखे हुए था।

प्रतीकात्मक तस्वीर।

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में गुरुवार देर रात हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इसके साथ ही सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस पर यह हमला उस वक्त किया गया जब वह हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची थी। पुलिस चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव में पहुंची थी।

वहां दुबे और उसके साथियों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। बताया जा रहा है कि पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। इसके बाद विकास दुबे घटनास्थल से फरार हो गया। हालांकि पुलिस ने ऑपरेशन के दौरान उसके कुछ साथियों को दबोच लिया। बताया जा जा रहा है कि गांव में दुबे का बहुत बड़ा घर है जिसमें लंबी-लंबी बाउंड्री है।

इसके साथ ही उसके घर तक जो रास्ता है उसपर एक जेसीबी खड़ी की गई थी जिसके चलते पुलिस उनके घर तक वाहन से नहीं जा सकी। इसी दौरान फायरिंग कर दी गई। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि दुबे और उसके साथियों को पहले से ही पुलिस की रेड के बारे में पता लग गया था। विकास और उसके साथी लाठी-डंडा और असलहे लेकर खड़े थे।

दुबे साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। दुबे राजनीतिक सरपरस्ती में पला बढ़ा था। राजनीतिक गलियारों में अच्छी पकड़ होने की वजह से विकास पुलिस से खुद को बचाकर रखे हुए था। दुबे चौबेपुर विधानसभा से पूर्व विधायक हरिकिशन श्रीवास्तव का करीबी था। विकास पर अलग-अलग मामलों में 60 एफआईआर दर्ज है। बताया जाता है कि दुबे ने कई जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस अपराधी पर साल 2000 में ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप भी है।

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