माओवादियों पर शिकंजा! 11 के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की तैयारी

इनामी नक्सली (Naxali) अजय महतो समेत 11 माओवादियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। गिरिडीह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इन नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुशंसा की है।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

इनामी नक्सली (Naxali) अजय महतो समेत 11 माओवादियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। गिरिडीह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इन नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुशंसा की है। सरकार को भेजे पत्र में मुकदमा चलाने के लिए जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान करने की मांग की गई है।

जिन 11 नक्सलियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की तैयारी उनमें- अजय महतो उर्फ टाइगर, चूड़ा मरांडी उर्फ रोहित जी, धुम्मा मरांडी, कृष्णा हंसदा, नूनू चंद महतो, वीरसेन उर्फ चंचल, साहिब राम मांझी, कल्लू उर्फ चरका मांझी, जय राम मांझी, सुनील टूडू और विश्वा उर्फ विश्वजीत मांझी शामिल हैं। पुलिस ने अपनी छानबीन में पाया है कि इन नक्सलियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकार के खिलाफ साजिश रचने की हिमाकत की है और इन सभी के खिलाफ पुलिस के पास साक्ष्य भी मौजूद हैं।

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नक्सली चूड़ा ने पुलिस के सामने खोले कई राज: इनमें से गिरफ्तार एक नक्सली (Naxali) चूड़ा मरांडी ने पुलिस के सामने कई खुलासे किए हैं। उसने पुलिस को बताया है कि मधुबन पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नक्सली मोती लाल बास्के की मौत के बाद माओवादियों के कहने पर एमएसएस यानी मजदूर संगठन समिति मधुबन के कुछ नेता जनता को भरमा कर पुलिस के खिलाफ उकसा रहे थे। ये नेता पुलिस को बदनाम करने की कोशिश में भी लगे थे। इन सारी गतिविधियों को देखते हुए पुलिस ने मजदूर संगठन समिति को भी प्रतिबंधित कर दिया था।

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ऐसे पकड़ा गया था नक्सली चूड़ा: 10 जून, 2018 उत्तरी छोटानागपुर में एकदिवसीय बंदी का आह्वान किया गया था। सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर तत्कालीन थानेदार उपेंद्र कुमार राय वरीय अधिकारियों से संपर्क कर गश्ती पर निकले थे। माझीडीह के पास पहुंचने पर गुप्त सूचना मिली कि बड़ी संख्या में नक्सली (Naxalites) पुलिया के पास इकट्ठा हैं।

जैसे ही पुलिस बल नक्सलियों (Naxals) की ओर बढ़ी, अंधेरे का लाभ उठाकर माओवादी भाग गए। हालांकि उस वक्त एक व्यक्ति को पुलिस ने दौड़ा कर पकड़ लिया था, जिसने अपना नाम चूड़ा मरांडी बताया था। उसकी तलाशी लेने पर 2 केन बम, 25 पीस जेल डेटोनेटर, 55 पीस पावर जेल, एक्सप्लोसिव समेत अन्य विस्फोटक सामान बरामद हुए थे। इसके बाद चूड़ा मरांडी ने पुलिस को पुलिया उड़ाने की योजना में शामिल नक्सलियों (Naxalites) के नाम और उनकी मंशा के बारे में जानकारी दी थी।

क्या है देशद्रोह का केस? आपको बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत में बने देशद्रोह से संबंधित मुकदमों को बाद में परिभाषित किया गया था। जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति सरकार विरोधी सामग्री लिखता है, या बोलता है या ऐसी सामग्री का समर्थन या करता हो जिससे राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान होता हो या वो देश के संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता हो तो ऐसे में आरोप सही पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान है। बता दें कि अविभाज्य झारखंड-बिहार में स्वतंत्रता के बाद 1962 में बिहार के केदारनाथ सिंह पर यह मुकदमा चलाया गया था। इसके बाद माओवादी नारायण सान्याल कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल आदि के खिलाफ भी देशद्रोह के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।

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