झारखंड: लेवी वसूल TPC नक्सली बन गए हैं करोड़पति, NIA ने कसा शिकंजा

एनआईए (NIA) ने झारखंड में अब तक सबसे ज्यादा टीपीसी ( TPC) के उग्रवादियों पर ही कार्रवाई की है। यह संगठन लोगों में खौफ कायम कर करोड़ों रुपए की लेवी की वसूल चुका है।

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सांकेतिक तस्वीर

एनआईए (NIA) ने झारखंड में अब तक सबसे ज्यादा टीपीसी (TPC) के उग्रवादियों पर ही कार्रवाई की है। यह संगठन लोगों में खौफ कायम कर करोड़ों रुपए की लेवी की वसूल चुका है। राज्य के चतरा जिले में टीपीसी संगठन का वर्चस्व है। हालांकि, एनआइए (NIA) के हाथ में टेरर फंडिंग का मामला आने के बाद इस संगठन पर कई बड़ी कार्रवाई की गई है।

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सांकेतिक तस्वीर।

चल रहा वसूली का खेल: एनआइए (NIA) के एक्शन के बावजूद विस्थापन समिति और कोल फील्ड लोडर एसोसिएशन के नाम पर टंडवा स्थित संचालित होने वाले मगध,आम्रपाली, अशोका, पिपरवार एवं पुरनाडीह कोल परियोजना में टीपीसी (TPC) उग्रवादियों के द्वारा वसूली का खेल चल रहा है।

कोल परियोजनाओं से कर रहे वसूली: चतरा के टंडवा स्थित एशिया के सबसे बड़े मगध-आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट और कई अन्य कोल परियोजनाओं से सीसीएल को हर साल करोड़ों का मुनाफा हो रहा है। दूसरी तरफ इन्हीं दोनों प्रोजेक्ट से लेवी वसूली कर टीपीसी नक्सली करोड़पति बन रहे हैं। संगठन के बड़े नक्सलियों ने रियल एस्टेट और शेयर में भी निवेश किया है।

लेवी वसूल नक्सली नेता बन गए हैं करोड़पति: लेवी वसूलकर टीपीसी के कई बड़े उग्रवादी करोड़पति बन गए हैं। इतना ही नहीं टीपीसी के उग्रवादियों और उनके सहयोगियों के पास जेसीबी, डोजर, डंपर और ट्रक भी हैं। जबकि कई नक्सली ट्रांसपोर्टिंग कंपनी भी चला रहे हैं। जो मगध-आम्रपाली कोल माइंस प्रोजेक्ट से कोयला खरीदने वाली बड़ी कंपनियों के लिए ट्रांसपोर्टिंग का काम कर रहे हैं।

विस्थापित ग्रामीण संचालन समिति के नाम पर कर रहे वसूली: टीपीसी कमांडर ब्रजेश गंझू, आक्रमण और अन्य टीपीसी उग्रवादियों के संरक्षण में पिपरवार थाना क्षेत्र स्थित अशोका, पिपरवार और पुरनाडीह कोल परियोजना में विस्थापित ग्रामीण संचालन समिति का गठन किया गया है। इसके नाम पर ही कोल व्यवसायी, डीओ होल्डर व ट्रांसपोर्टर से 150 रुपये प्रति टन और कोयला लिफ्टर से 265 रुपया प्रति ट्रक की वसूली की जा रही है।

NIA ने कसा शिकंजा: कोयला से लेवी वसूलकर कमाई करने वाली टीपीसी (TPC) पर हाल के दिनों में एनआइए (NIA) और पुलिस का शिकंजा कसा है। एनआइए (NIA) का शिकंजा कसने के बाद से चतरा में सर्वाधिक सक्रिय नक्सली संगठन टीपीसी अब बैकफुट पर है। लेकिन अब प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी अब उन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुट गया है, जहां पहले उसकी पकड़ मजबूत थी।

भाकपा माओवादी भी जड़ जमाने की कोशिश में: दरअसल, चतरा में भाकपा माओवादी की पकड़ बहुत अच्छी थी। लेकिन चतरा में टीपीसी की वजह से भाकपा माओवादी कमजोर पड़ गया था। दूसरी ओर, हाल के कुछ महीनों में टीपीसी के कई बड़े उग्रवादी कोहराम, आक्रमण और बिंदु गंझू के पकड़े जाने से संगठन को बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा संगठन के कई उग्रवादी या तो पकड़े गए हैं या मारे गए हैं, जिससे टीपीसी की पकड़ हजारीबाग और चतरा में कमजोर हुई है।

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