झारखंड: रांची पुलिस के सामने 10 लाख के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर, कई वारदातों में शामिल था सबजोनल कमांडर

नक्सली जीवन को पूरी उम्मीद थी कि यदि मुठभेड़ होती है तो ना भाग पाने के कारण उसको मार गिराया जायेगा। ऐसे में सरेंडर ही उसके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प बच रह गया था।

Naxalites

झारखंड में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ चलाये जा रहे प्रशासनिक अभियान को लगातार सफलता मिल रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले कई महीनों में सैकड़ों कुख्यात नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटना शुरू किया है। इसी पहल के तहत चक्रधरपुर से खूंटी में भी एक 10 लाख के इनामी कुख्यात नक्सली ने रांची पुलिस के सामने हथियार डाल दिये।

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राज्य में सालों से नक्सली घटनाओं में शामिल रहे सबजोनल कमांडर जीवन कंडुलना उर्फ पतरस कंडुलना ने 12 साल बाद हिंसा का रास्ता छोड़कर आम जिंदगी जीने की आस में सरेंडर कर दिया। जीवन खूंटी जिले के रनिया स्थित जापुद गांव का रहने वाला है और इसने ही पिछले साल पुलिस टीम पर तीर बम से हमला किया था। ये हमला तब हुआ था जब पश्चिमी सिंहभूम के गुदड़ी थाने में पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) पर धावा बोला था। तब तीन महिला नक्सली मारी गई थीं, लेकिन जीवन पुलिस टीम पर बम विस्फोट कर अपने दस्ते के साथ फरार होने में कामयाब रहा था।  

नक्सली जीवन कंडुलना ने पोड़ाहाट जंगल को अपना ठिकाना बनाया था। हालांकि चाईबासा पुलिस को उसके ठिकाने की जानकारी मिल चुकी थी और बहुत जल्द उसे घेरकर पकड़ने की योजना भी बन चुकी थी, लेकिन पुलिस की इस योजना का पता सबजोनल कमांडर जीवन को लग गया और इसने रांची पुलिस से संपर्क करके आत्मसमर्पण कर दिया।

गौरतलब है कि नक्सली कमांडर जीवन हमेशा अपने दस्ते में 10-12 नक्सलियों (Naxalites) को शामिल रखता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से उसकी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी। कई तरह की बीमारियों ने उसे जकड़ लिया था। साथ ही उसका एक पैर फायलेरिया से ग्रसित भी हो गया था। जिसके कारण वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। ऐसे में नक्सली जीवन को पूरी उम्मीद थी कि यदि मुठभेड़ होती है तो ना भाग पाने के कारण उसको मार गिराया जायेगा। ऐसे में सरेंडर ही उसके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प बच रह गया था। इसी लिए पश्चिम सिंहभूम पुलिस की जगह उसने रांची पुलिस के सामने सरेंडर किया, ताकि जान बच सके।

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