झारखंड: रांची में पुलिस ने ग्राम प्रधान को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाया

झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के राजा उलातु पंचायत के सागोद गांव के ग्राम प्रधान संदीप सुंडिल को पुलिस ने नक्सलियों (Naxals) के कब्जे से सुरक्षित मुक्त करा लिया।

Naxals

झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के राजा उलातु पंचायत के सागोद गांव के ग्राम प्रधान संदीप सुंडिल को पुलिस ने नक्सलियों (Naxals) के कब्जे से सुरक्षित मुक्त करा लिया।

झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के राजा उलातु पंचायत के सागोद गांव के ग्राम प्रधान संदीप सुंडिल को पुलिस ने नक्सलियों (Naxals) के कब्जे से सुरक्षित मुक्त करा लिया। 3 जनवरी की देर रात नक्सलियों ने ग्राम प्रधान का अपहरण कर लिया था। हालांकि, ग्राम प्रधान के अपहरण के बाद परिजनों ने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी थी।

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नक्सलियों ने किया था अगवा, पुलिस ने काराया ग्राम प्रधान को मुक्त।

झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के राजा उलातु पंचायत के सागोद गांव के ग्राम प्रधान संदीप सुंडिल को पुलिस ने नक्सलियों (Naxals) के कब्जे से सुरक्षित मुक्त करा लिया। 3 जनवरी की देर रात नक्सलियों ने ग्राम प्रधान का अपहरण कर लिया था। हालांकि, ग्राम प्रधान के अपहरण के बाद परिजनों ने घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देर रात 7 से 8 की संख्या में आए हथियारबंद नक्सलियों (Naxals) ने ग्राम प्रधान को उनके घर से अगवा कर लिया। 4 जनवरी की सुबह घटना की भनक जैसे ही नामकुम पुलिस को लगी, तुरंत पुलिस सागोद गांव पहुंची और मामले की जानकारी ली।

मामले में सुरक्षा ग्राम प्रधान के कारणों से पुलिस भी कुछ बोलने से बच रही थी। सूत्रों की मानें तो ग्राम प्रधान के घर पहुंचे सभी नक्सली पुलिस की वर्दी पहने हुए थे। सभी के पास हथियार भी थे। नक्सली देर रात ग्राम प्रधान के घर पहुंचे, उन्होंने दरवाजा खुलवाया और ग्राम प्रधान को उठाकर ले गए। आशंका जताई जा रही थी कि नक्सलियों (Naxals) ने ग्राम प्रधान के परिजनों से फिरौती की मांग भी की है। घटना के बाद से सागोद गांव स्थित ग्राम प्रधान का घर पूरी तरह से खाली था।

घर में परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था। गांव के लोग भी पूरी तरह से डरे सहमे हुए थे और घटना के संबंध में पूछे जाने पर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कुछ भी बताने से साफ इनकार कर रहे थे। ग्रामीणों को लगातार यह डर सता रहा था कि अगर वे मामले में कुछ भी बोलते हैं तो नक्सली आने वाले समय में उन्हें भी परेशान कर सकते हैं। इस बात की भनक लगते ही पुलिस पहुंच गई और समय रहते ग्राम प्रधान को नक्सलियों (Naxals) के चंगुल से छुड़ा लिया।

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