Jharkhand: पश्चिमी सिंहभूम हमले में नक्सलियों ने इस्तेमाल किया था ‘डायरेक्शनल बम’, ऐसे करता है काम

झारखंड (Jharkhand) के पश्चिमी सिंहभूम के टोकलो थाना क्षेत्र स्थित लांजी जंगल में 4 मार्च को सुरक्षाबलों के खिलाफ नक्सलियों ने जिस बम का इस्तेमाल नक्सलियों ने किया था उसे ‘डायरेक्शनल बम’ बताया जा रहा है।

Jharkhand Police

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झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) मुख्यालय ने घटना के बाद सभी जिलों के एसएसपी-एसपी और नक्सल विरोधी अभियान में लगे जवानों-पदाधिकारियों के लिए गाइडलाइंस जारी किया है।

झारखंड (Jharkhand) के पश्चिमी सिंहभूम के टोकलो थाना क्षेत्र स्थित लांजी जंगल में 4 मार्च को सुरक्षाबलों के खिलाफ नक्सलियों ने जिस बम का इस्तेमाल नक्सलियों ने किया था उसे ‘डायरेक्शनल बम’ बताया जा रहा है। इस डायरेक्शनल बम की मारक क्षमता 350 से 400 मीटर तक बताई जा रही है। राज्य में पहली बार नक्सलियों ने इस बम का इस्तेमाल किया है।

यह एक तरह का जुगाड़ लांचर है, जिसे लैंड माइंस की तरह ही दूर बैठे तार की मदद से नक्सली संचालित कर सकते हैं। इसे सिर्फ जमीन में ही नहीं, बल्कि पेड़ों और पहाड़ों पर भी लगाया जा सकता है। इसमें लांचर की तरह ही एक पाइपनुमा संरचना होती है, जिसमें एक तरफ का हिस्सा बंद रहता है।

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सबसे पहले पाइप में हाई एक्सप्लोसिव भरा होता है। उसमें रॉड के गोलीनुमा छोटे-छोटे टुकड़े सैकड़ों की संख्या में रहते हैं। विस्फोटक के पास एक दो तार के बराबर छेद होता है, जहां तार लगा होता है। इस देसी लांचर को दूर किसी पेड़, पहाड़ पर लगा सकते हैं।

जैसे ही सुरक्षाबल उस पेड़ या पहाड़ के नजदीक पहुंचते हैं, नक्सली तार को बैट्री की मदद से स्पार्क कर देते हैं और विस्फोटक में आग लगते ही ब्लास्ट होता है। उसमें पड़े सभी रॉड के टुकड़े खाली दिशा में तेजी से निकलते हैं और उनके रास्ते में जो मिलता है, उसे छेदते हुए पार हो जाते हैं।

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झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) मुख्यालय ने घटना के बाद सभी जिलों के एसएसपी-एसपी और नक्सल विरोधी अभियान में लगे जवानों-पदाधिकारियों के लिए गाइडलाइंस जारी किया है।

झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) के एडीजी अभियान नवीन कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व में इस्तेमाल से पहले ही इस तरह के बम की बरामदगी हुई थी, जिसे निष्क्रिय किया गया था। राज्य में यह पहली बार है जब डायरेक्शनल बम का घातक प्रहार सुरक्षा बलों पर हुआ है। अब ऐसे बमों से बचाव व कारगर अभियान कैसे चले, इससे संबंधित दिशा-निर्देश सभी जिलों को जारी कर दिया गया है। एडीजी ने बताया कि चाईबासा की घटना में शामिल नक्सली चिह्नित हो चुके हैं। गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी है।

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पुलिस (Jharkhand Police) को आशंका है कि नक्सलियों के पास भारी संख्या में ऐसे हथियार आ गए हैं, जिससे वे सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने में उपयोग कर सकते हैं। नक्सलियों तक विस्फोटक पहुंचाने में पत्थर, कोयला, बाक्साइट और आयरन ओर की खदानें भी मदद कर रही हैं।

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खनन में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक ही नक्सलियों तक पहुंचते रहे हैं। इसका खुलासा पहले गिरफ्तार किए गे नक्सलियों ने भी किया है। गिरफ्तार नक्सलियों की निशानदेही पर भारी मात्रा में विस्फोटकों का जखीरा भी मिलता रहा है। पत्थर के धंधेबाज, कोयला माफिया नक्सलियों को विस्फोटक उपलब्ध कराने में मदद करते रहे हैं।

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