झारखंड: राज्य में बड़े हमले की फिराक में हैं नक्सली, पुलिस प्रशासन सतर्क

झारखंड (Jharkhand) में पुलिस की सक्रियता ने नक्सलियों (Naxalites) की परेशानियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लेकिन ये नक्सली हैं कि अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आते। एक बार फिर नक्सली राज्य में किसी बड़े हमले की फिराक में हैं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

झारखंड (Jharkhand) में पुलिस की सक्रियता ने नक्सलियों (Naxalites) की परेशानियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लेकिन ये नक्सली हैं कि अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आते। एंटी-नक्सल ऑपरेशन (Anti-Naxal Operation) में लगे सुरक्षाकर्मी अक्सर नक्सलियों के निशाने पर रहते हैं। एक बार फिर नक्सली राज्य में किसी बड़े हमले की फिराक में हैं।

जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों (Naxals) के कई ग्रुप चाईबासा, सरायकेला, गिरिडीह, चतरा, पलामू, लातेहार, गुमला, लोहरदगा और बोकारो में सक्रिय हैं। नक्सली के छोटे-छोटे ग्रुप्स सुरक्षाबलों पर हमले की प्लानिंग में लगे हैं। पिछले कुछ महीनों से लगातार चलाए जा रहे एंटी-नक्सल ऑपरेशन में कई नक्सलियों को सुरक्षाबल ढेर कर चुके हैं। ऐसे में नक्सली सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई का बदला लेने की फिराक में लगे हैं।

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दरअसल, पिछले पांच महीने में झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) और सीआरपीएफ (CRPF) की संयुक्त कार्रवाई से नक्सली तिलमिला गए हैं। पिछले साल नक्सलियों ने राज्य में कई जगहों पर छोटी-बड़ी नक्सल घटनाओं को अंजाम दिया। लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल के शुरुआती पांच महीनों में सुरक्षाबलों की चौकसी से नक्सली सफल नहीं हो सके। कई बड़े नक्सली पकड़े गए हैं और कई ने सरेंडर कर दिया है। इससे भी नक्सली संगठनों को झटका लगा है।

लेकिन, झारखंड में सक्रिय नक्सलियों (Naxalites) ने नई रणनीति के बनाई है। इसके तहत, उन्होंने पड़ोसी राज्यों ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और बिहार के बड़े नक्सलियों से संपर्क साधा है। ऐसा कहा जा रहा है कि कि दूसरे प्रदेशों में सक्रिय नक्सली झारखंड आकर हमले को अंजाम दे सकते हैं। चाईबासा के सारंडा जंगल नक्सलियों का दूसरा सबसे बड़ा सेफ जोन माना जाता है।

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झारखंड में एक करोड़ के चार इनामी नक्सली (Naxalites) किशन दा, प्रशांत बोस, अनमोल उर्फ समर मिसिर और वसीम मंडल उर्फ आकाश के दस्ते का जमवाड़ा है। गढ़वा, लातेहार और गुमला के सीमावर्ती क्षेत्रों में विमल यादव और बुलेश्वर यादव का दस्ता सक्रिय है। वहीं, चाईबासा, सरायकेला, छोटा नागपुर में माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ का इनामी किशन उर्फ प्रशांत बोस, समर जी, चमन उर्फ लंबू, सुरेश उर्फ जीवन और महाराजा प्रमाणिक का दस्ता सक्रिय है।

जबकि गिरिडीह, जमुआ नवादा बॉर्डर पर सेक सदस्य एवं सिंधु कोड़ा का दस्ता सक्रिय है। इसके अलावा हजारीबाग, चतरा, गया बॉर्डर पर माओवादी रिजनल कमेटी सदस्य इंदु और आलोक का दस्ता सक्रिय है। बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और जागेश्वर बिहार थाना के क्षेत्र में 25 लाख के इनामी माओवादी नेता मिथिलेश सिंह का दस्ता सक्रिय है। उधर, औरंगाबाद, गया, चतरा बॉर्डर पर सेक सदस्य संदीप के दस्ते के साथ-साथ संजीत और विवेक का दस्ता भी सक्रिय है।

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बता दें कि राज्य में पुलिस और सुरक्षाबल नक्सलियों (Naxals) को खिलाफ पूरी सख्ती बरत रहे हैं। लगातार एंटी-नक्सल ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। नक्सलियों की हर कोशिश को सुरक्षाबल नाकाम कर दे रहा हैं। नक्सलियों ने बीते 31 मार्च को गुमला में भी लातेहार के चंदवा जैसी घटना को दोहराने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने इसे नाकाम कर दिया था।

वहीं, 13 अप्रैल को खूंटी में पुलिस को नुकसान पहुंचने के लिए नक्सलियों (Naxalites) ने विस्फोटक लगा कर रखे थे। जिसे पुलिस ने समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया था। उसके बाद, 19 अप्रैल को भी चाईबासा जिले में भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने सोनुवा थाना क्षेत्र के कुइड़ा गांव में एक ग्रामीण की हत्या कर, पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए उसके शव के पास आइईडी (IED) बम लगाया गया था। पर, जवानों की सतर्कता से नक्सलियों को मंसूबे पर पानी फिर गया।

इसके अलावा, 7 मई को पुलिस को उड़ाने की नक्सली साजिश नाकाम कर दी गई थी। सुरक्षाबलों ने चाईबासा के जोजोदगड़ा के पास से पुलिस ने सड़क पर बिछाए गए पांच शक्तिशाली आइईडी केन बम बरामद किया था। इसके बाद 12 जून को चाईबासा के गोईलकेरा थाना क्षेत्र के कुईड़ा-सरजमबुरु सड़क पर दो अलग-अलग जगहों पर लगाए गए 64 आईडी को जवानों ने बरामद कर नष्ट कर दिया था। ये सभी आईईडी (IED) पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए थे।

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