दाने-दाने को मोहताज हैं 25 लाख के इनामी नक्सली के पत्नी और बच्चे

पुलिस-प्रशासन ने उसके सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। झारखंड के लातेहार जिले के इस 25 लाख के इनामी माओवादी का नाम सुजीत है।

Naxali

25 लाख के इनामी नक्सली सुजीत की पत्नी।

पुलिस-प्रशासन ने उसके सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। झारखंड के लातेहार जिले के इस 25 लाख के इनामी माओवादी (Naxali) का नाम सुजीत है। सुजीत अपने संगठन के साथियों के साथ बीहड़ों में छिपा हुआ है और पुलिस किसी भी कीमत पर उसे दबोचना चाहती है। कुछ ही दिनों पहले प्रशासन ने सुजीत के घर कुर्की-जब्ती भी की थी। सुजीत का परिवार लातेहार के मनिका प्रखंड अंतर्गत सुदूर गांव लावा गढ़ में रहता है जहां उसकी पत्नी और बच्चे एक छोटे से खपरैल के घर में रहकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

अपने साथियों के साथ सुजीत किस हाल में है? यह उसके घरवालों को नहीं पता लेकिन उसकी पत्नी और बच्चों की स्थिति अब काफी दयनीय हो गई है। यह सभी दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं। यहां तक कि उसके बच्चे एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन उसकी पत्नी के पास बच्चों के स्कूल की फीस देने तक का पैसा नहीं हैं। 13 साल पहले सुजीत उर्फ छोटू खेरवार ने लाल झंडे के साथ आंदोलन शुरू किया था। उसके बाद वह प्रतिबंधित नक्सली (Naxali) संगठन भाकपा माओवादी में शामिल होकर बिहार रीजनल कमेटी का वरिष्ठ सदस्य बन गया। इस दौरान बिहार के साथ-साथ झारखंड के कई जिलों में उसने कई नक्सली वारदातों को अंजाम दिया।

जिसके बाद सरकार ने उसे 25 लाख रुपए का इनामी नक्सली (Naxali) घोषित कर दिया तथा कार्रवाई करते हुए उसके घर में कुर्की जब्ती भी कर ली। अब सुजीत के परिवार के लिए जिंदगी गुजारना बेहद मुश्किल हो गया है। कुख्यात नक्सली छोटू उर्फ सुजीत की पत्नी ललिता कहती है कि हमने अपने पति को नक्सली पथ में जाने के लिए कई बार मना किया और कई बार उसे रोकने की कोशिश भी की परंतु उसने उनकी नहीं सुनी। उल्टे उनके साथ मारपीट भी की।

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ललिता भावुक होकर आपबीती बताती है, ‘काश मुझे पहले पता रहता कि मेरा पति नक्सली है तो मैं शादी हरगिज नहीं करती। परंतु बात मेरे सामने आते-आते बहुत देर हो गई। तब तक मेरे एक बच्चे का जन्म हो चुका था।’

वह बताती है, ‘पहले वह सात-आठ दिन में घर पहुंचता था। परंतु बीते कई वर्षों से वह घर नहीं आया। अब मैं क्या करूं मेरा पति है उसे देखने का मेरा मन करता है, लेकिन वह घर आता ही नहीं है। अब वह कहां है, किस हालत में है, मुझे पता नहीं है, मन में बहुत सारा डर है बैठा हुआ है।’ ललिता का कहना है कि हम चाहते हैं कि वह सरेंडर कर दे और परिवार के साथ सामान्य नागरिक की तरह जीवन जिए ताकि बच्चों का भविष्य बन सके।

सुजीत उर्फ छोटू के तीन बच्चे हैं। दो बच्चे लातेहार के विद्या निकेतन आवासीय विद्यालय में पढ़ते हैं परंतु पैसे के अभाव में 1 साल का फीस बाकी है। जिसके कारण अब ऐसा लगता है दोनों की आगे की बढ़ाई शायद मुमकिन ना हो सके। सुजीत के नक्सली (Naxali) होने की वजह से उसकी छोटी बहन की शादी भी नहीं हो सकी है क्योंकि कोई रिश्ता अब उनके घर नहीं आता।

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