झारखंड: खूंटी में दो नक्सली पुलिस के हत्थे चढ़े, 8 सालों से चल रहे थे फरार

झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले से पुलिस ने फरार चल रहे दो नक्सलियों (Naxals) के गिरफ्तार किया। पिछले आठ सालों से फरार दो नक्सलियों को जिले की अड़की पुलिस ने 21 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया।

Naxals

झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले से पुलिस ने फरार चल रहे दो नक्सलियों (Naxals) के गिरफ्तार कर लिया।

झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले से पुलिस ने फरार चल रहे दो नक्सलियों (Naxals) के गिरफ्तार कर लिया। पिछले आठ सालों से फरार दो नक्सलियों को जिले की अड़की पुलिस ने 21 दिसंबर को गिरफ्तार किया।

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खूंटी से गिरफ्तार फरार नक्सली।

थाना प्रभारी विक्रांत कुमार के अनुसार, पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर को गुप्त सूचना मिली कि आठ सालों से फरार नक्सली जनकलाल स्वांसी और विषम स्वासी दोनों अपने गांव अड़की प्रखंड के गम्हरिया आए हुए हैं। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अड़की थाना प्रभारी विक्रांत कुमार और सीआरपीएफ 157 बटालियन के विष्णु कुमार शर्मा के नेतृत्व में छापामारी दल का गठन किया गया। छापामारी दल ने त्वरित कार्रवाई कर गम्हरिया गांव में छापामारी कर दोनों नक्सलियों (Naxals) को गिरफ्तार कर लिया।

इन दोनों नक्सलियों (Naxals) के खिलाफ अड़की थाना में धारा 320, 342, 307, 34 भादंवि 27 आ‌र्म्स एक्ट तथा 17 सीएलए एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं। इससे पहले राज्य के पलामू जिले के छतरपुर थाना क्षेत्र से टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमिटी) के एरिया कमांडर समेत दो नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जितेंद्र यादव और साबीर अंसारी नाम के दो TPC नक्सलियों (Naxals) को गिरफ्तार किया गया था। इन नक्सलियों (Naxals) ने खजूरी के इलाके में पुल निर्माण स्थल पर हमला किया था। इस मामले में पलामू के एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।

जानकारी के अनुसार, पलामू पुलिस ने टीपीसी TPC के एरिया कमांडर समेद दो नक्सलियों (Naxals) को गिरफ्तार किया। इन नक्सलियों ने 19 दिसंबर की रात छतरपुर के खजुरी-नौडिहा-बाघमारा रोड में बांकी नदी पर बन रहे पुल के पास हमला किया था। इन्होंने पुल निर्माण कार्य में लगे मुंशी राजेंद्र सिंह और सत्येंद्र सिंह को गिरफ्त में ले लिया था और फिर उनकी दो घंटे तक बेरहमी से पिटाई की थी। साथ ही कहा था कि लेवी देने के बाद ही काम शुरू किया जाए। घटना के बाद दोनों का छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज कराया गया था।

पढ़ें: नक्सली इलाके में रहकर शुरू से की पढ़ाई, अब डॉक्टर बन कर रहे यहां के लोगों की सेवा

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