मृतकों को दी गई श्रद्धांजलि
कहा जाता है कि एक दौर में वैश्य समाज नक्सलियों (Naxalites) का विरोध करता था और नक्सली इस समाज से काफी चिढ़ा करते थे। यही वजह थी कि नक्सली वैश्य समाज को अपना निशाना बनाया करते थे।
गिरीडीह: झारखंड का गिरिडीह जिला नक्सल (Naxalites) प्रभावित है। यहां के पारसनाथ पहाड़ के पूर्वी छोर में एक इलाका बसा है, उसका नाम है खुखरा। ये इलाका कई बड़े नक्सलियों का घर है और जंगलों से घिरा है।
14 अप्रैल 1991 को नक्सलियों ने अपने वर्चस्व के लिए यहां कई निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया था। नक्सलियों ने नीरज बरनवाल, प्रभात कुमार मंडल, आनंदी मंडल ,जूली मिश्रा, बद्री सिंह और दिलीप कुमार की हत्या कर दी थी।
आज भी इस घटना को याद करके लोगों की रूह कांप जाती है। क्योंकि इससे पहले एक साथ इतने लोगों की हत्या इस क्षेत्र में नहीं हुई थी। ऐसे में खुखरा के लोगों ने मृतकों के परिजनों के साथ मिलकर एक शहीद बेदी बनाई है, जहां इन मृतकों को अब श्रद्धांजलि दी गई है।
कहा जाता है कि एक दौर में वैश्य समाज नक्सलियों (Naxalites) का विरोध करता था और नक्सली इस समाज से काफी चिढ़ा करते थे। यही वजह थी कि नक्सली वैश्य समाज को अपना निशाना बनाया करते थे।
1980 और 1990 के दशक में नक्सलियों के आतंक से वैश्य समाज के लोग खुखरा छोड़ कर चले गए थे। क्योंकि नक्सली कत्लेआम पर उतर आए थे।
गांव छोड़ने वाले परिवारों में श्री कृष्ण राम, वासुदेव राम, सखी चंद्र राम, दुलारचंद राम ,बैजनाथ राम, दशरथ किशोर बरनवाल ,राम नारायण राम ,सरजू राम गोविंद राम ,अर्जुन राम ,रामदयाल राम, रामस्वरूप राम, रामचंद्र राम हैं। इन सबने नक्सलियों के डर से खुखरा छोड़ दिया।
इसी तरह अगड़ी जाति की बात करें तो बजरंग प्रसाद, शिवप्रसाद और यदुनंदन प्रसाद ने भी अपनी जमीन और जायदाद नक्सलियों के हवाले कर दी और गांव छोड़ दिया था। नक्सलियों ने इन सबकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया।
इन इलाकों में नक्सलियों का नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता है। अजय महतो सहित कई कुख्यात नक्सली यहां सक्रिय रहे हैं। हालांकि बीते 10 सालों में यहां काफी विकास हुआ है और कई नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। बड़े नक्सलियों के जेल जाने के बाद इस क्षेत्र में शांति का माहौल है और आज क्षेत्र में सड़क, बिजली और अन्य सुविधाएं भी हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि खुखरा में गिरिडीह पुलिस द्वारा थाना भी बनाया गया है। इस वजह से यहां के ग्रामीणों को अब किसी प्रकार का डर नहीं है।
यहां के बच्चे स्कूल जाते हैं और लोग बेखौफ बाजार में निकलते हैं। यहां आने-जाने वाले राहगीरों को भी नक्सलियों का डर नहीं है। पिछले 10 सालों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने संयुक्त रूप से इस क्षेत्र में नक्सलियों को खत्म करने के लिए बहुत ही कारगर कदम उठाए हैं। सीआरपीएफ, जिला पुलिस बल और पुलिस अधिकारियों का इसमें अहम रोल है।
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