HC को समर्पण नीति से एतराज, नक्सली को 15 लाख और शहीद परिवारों को धक्के क्यों?

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झारखंड (Jharkhand) हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी पर सवालिया निशान लगाया है। राज सरकार ने पूछा है कि जिस नक्सली ने गंभीर आपराधिक कृत्य किए हैं उसके लिए बड़ी राशि पुनर्वास योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा दिया जाना कितना उचित है ? कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना है कि राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी में कई खामियां दिखती हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सरेंडर पॉलिसी में क्या कुछ नई बातें जोड़ने की योजना है?

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हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर के बाद उसे पुनर्वास के तौर पर ₹15 लाख देने के मामले में कोर्ट के स्वत संज्ञान पर सुनवाई हुई।  झारखंड (Jharkhand) हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एचसी मिश्र की कोर्ट ने मौखिक कहा कि नक्सली को इतनी बड़ी राशि पुनर्वास के लिए दी जाती है । वहीं मृतक शहीद परिवार को मुआवजा के लिए दौड़ लगानी पड़ती है एमिकस क्यूरी हेमंत सिकरवार ने कोर्ट को बताया कि हार्डकोर नक्सली कुंदन मई 2017 को सरेंडर किया था। सरकार ने इस उपलब्धि बताते हुए उसके सम्मान समारोह आयोजित किया। साथ ही पुनर्वास योजना किधर उसे 15 लाख रुपए की राशि दी। यह राशि टैक्स भरने वाली आम जनता की है। वहीं नक्सली हिंसा में मारे गए पुलिस अधिकारी और आम लोगों को मुआवजा के तौर पर बहुत कम राशि दी जाती है।

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इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि पुलिस के कई आला अधिकारी नक्सलियों के गुड बुक में रहते हैं। वो अपने अधिनस्थ पुलिस अधिकारियों को नक्सलियों के खिलाफ गवाही और साक्ष्य नहीं लाने का दबाव बनाते हैं। गवाह और साक्ष्य नहीं रहने पर हार्डकोर नक्सली कई मामलों में बरी हो जाते हैं। गवाहों को भी पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं कराया जाता है। सरकार उनके खिलाफ ऊपरी अदालत में रिहाई के खिलाफ अपील भी नहीं करती है। इस मामले में कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि कुंदन पाहन के खिलाफ 128 लूट, डकैती, हत्या आदि के दर्ज हैं। दूसरी ओर सरकार ने बड़ी राशि देकर उसे सम्मानित किया।

गौरतलब है कि कुंदन पाहन पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा, प्रमोद कुमार और पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या समेत कई जघन्य कांडों का आरोपी है। बुंडू में 5 करोड़ रुपए लूटने के मामले में भी वह आरोपी है। फिलहाल वह हजारीबाग ओपन जेल में रह रहा है।

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