Jharkhand: पुलिस की गिरफ्त में आए नक्सली ने उगले कई राज, नक्सलियों ने की है पंचायत चुनाव में हिंसा फैलाने की साजिश

झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) की गिरफ्त में आए भाकपा माओवादी नक्सली (Naxali) अनिल खेरवार ने कई बड़े राज खोले है। नक्सली अनिल ने स्वीकार किया है कि वह सात साल से भाकपा माओवादियों के साथ काम रहा है।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर।

गिरफ्तार भाकपा माओवादी नक्सली (Naxali) अनिल खेरवार ने पुलिस को जानकारी दी है कि माओवादी के दस्ते में कुछ लड़कियां और औरतें भी हैं।

झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) की गिरफ्त में आए भाकपा माओवादी नक्सली (Naxali) अनिल खेरवार ने कई बड़े राज खोले है। नक्सली अनिल ने स्वीकार किया है कि वह सात साल से भाकपा माओवादियों के साथ काम रहा है। वह रवींद्र गंझू, बुद्धेश्वर उरांव, रंथू उरांव, लाजिम अंसारी, मुनेश्वर गंझू उर्फ मुन्ना खेरवार, शीतल मोची जैसे खूंखार नक्सलियों (Naxals) के लिए काम करता है।

उसने यह भी कुबूल किया कि नक्सली कमांडरों के लेवी के रुपये वसूल कर व बम बनाने का सामान लेकर भाकपा माओवादियों को पहुंचाता है, साथ ही पुलिस की गतिविधि पर भी नजर रखता है और नक्सलियों (Naxalites) तक इसकी जानकारी पहुंचाने का काम करता है।

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पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, उसकी गिरफ्तारी के वक्त बरामद रुपये के बारे में पूछने पर अनिल खेरवार ने बताया कि बोरांग से कटिया टेमरकरचा तक रोड निर्माण का कार्य 1 करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से हो रहा है। इसका काम शुरू करने के एवज में ठेकेदार को नक्सली कमांडर रवींद्र गंझू ने जान मारने की धमकी देकर 10 प्रतिशत लेवी देकर काम शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद ठेकेदार ने नक्सलियों को 75 हजार रुपये दिए थे।

पुलिस के मुताबिक, आगामी पंचायत चुनाव में पुलिस पार्टी को क्षति पहुंचाने और आम जनता में दहशत और अपनी स्थापना को लेकर नक्सलियों ने प्लानिंग कर ली है। माओवादी अब पुराने नुस्खे को अपना रहे हैं। वे केन बम को छोड़ कर फिर से प्रेशर बम का प्रयोग कर रहे हैं। इसकी तैयारी नक्सलियों ने कर ली है। नक्सली जान गए हैं कि पुलिस अब और मजबूत हो गई है। उनके पास तरह-तरह के उपकरण हैं। नक्सलियों ने कुछ जगहों पर प्रेशर बम लगाया है, जिसकी छानबीन पुलिस कर रही है।

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पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नक्सली (Naxali) अनिल खेरवार ने पुलिस को जानकारी दी है कि माओवादी के दस्ते में कुछ लड़कियां और औरतें भी हैं। गिरफ्तार नक्सली ने बताया कि माओवादी जिस जगह पर रहते हैं, वहां से पांच किमी पहले तक किसी लड़के के वहां की निगरानी व पुलिस गतिविधि की सूचना देने के लिए रखते हैं। इससे जब पुलिस उस स्थान के लिए निकलती है, तो नक्सली मुखबिरों द्वारा दस्ते तक खबर भेज दिया जाता है, जिससे नक्सली पुलिस की हाथों से बच निकलते हैं।

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