झारखंड: गुमला जिले में युवा छात्रों की सराहनीय पहल, गरीब आदिवासी बच्चों को दे रहे नि:शुल्क शिक्षा

झारखंड (Jharkhand) के गुमला (Gumla) में युवाओं ने गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर एक सराहनीय पहल की है। यह अनूठी पहल गुमला के केओ कॉलेज के छात्रों ने की है।

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झारखंड (Jharkhand) के गुमला के केओ कॉलेज में नागपुरी विषय के छात्र विवेक साहू और उनके दोस्तों की एक पूरी टीम है, जो बच्चों को पढ़ाने में मदद करती है।

झारखंड (Jharkhand) के गुमला (Gumla) में युवाओं ने गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर एक सराहनीय पहल की है। यह अनूठी पहल गुमला के केओ कॉलेज के छात्रों ने की है। यहां गांवों में गरीब बच्चों के लिए स्व. कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला चलाई जा रही है। इस रात्रि पाठशाला को केओ कॉलेज में गुमला के नागपुरी विषय के छात्र विवेक साहू संचालित कर रहे।

बीते छह सालों से यह रात्रि पाठशाला चल रही है। इस पाठशाला में कॉलेज के युवा गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। इसके तहत घाघरा प्रखंड के 7 गांवो में गरीब बच्चों के लिए रात्रि पाठशाला शुरू की गई है, जहां करीब 200 बच्चे पढ़ते हैं। हर दिन दो घंटे की क्लास चलती है। वहीं, 20 और गांवों में इसका ट्रायल चल रहा है।

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विवेक साहू बताते हैं कि आनेवाले दिनों में प्रखंड के हर गांव में रात्रि पाठशाला शुरू करने की प्लानिंग है। यहां पढ़ाने वाले युवा शिक्षक रूपम उरांव बताते हैं कि घाघरा प्रखंड के चांची गांव, गम्हरिया, लेसाटोली, बनियाडीह, बालाखटंगा, हापामुनी, कंडरा, साहिजाना, लरंगो, महुवाटोली और चपका आदि गांवों में रात्रि पाठशाला चलाई जा रही है।

रूपम उरांव ने बताया कि पाठशाला के लिए उसी गांव से टीचर भी मिल गए हैं, जो बच्चों को पढ़ाएंगे। खास बात यह है कि बच्चों को पढ़ाने वाले ये सभी टीचर खुद भी विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाई करते हैं और अभी कॉलेज बंद होने के कारण घर पर हैं। इस समय में वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

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केओ कॉलेज में गुमला के नागपुरी विषय के छात्र विवेक साहू और उनके दोस्तों की एक पूरी टीम है, जो बच्चों को पढ़ाने में मदद करती है। विवेक साहू ने बच्चों को कहानी, जेनरल नॉलेज, व्याकरण की पुस्तक, कॉपी व पेंसिल उपलब्ध कराया है। बच्चों को जनरल नॉलेज की भी शिक्षा दी जाती है। छोटे बच्चों के अलावा यहां 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के छात्रों को भी नि:शुल्क पढ़ाया जाता है। साथ ही यहां बच्चों को एक्सरसाइज और योग भी सिखाया जाता है।

गम्हरिया गांव में विवेक साहू, रूपम उरांव, आलोक प्रजापति, संदीप तिर्की, लेसाटोली गांव में वर्षा मिंज, अरविंद उरांव, चांची गांव में बसंत उरांव, निशांत उरांव और बनियाडीह गांव में सूरज उरांव इन गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये सभी युवा खुद भी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं।

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साथ ही गांव के गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के मकसद से ये लोग उन्हें नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। ये युवा छात्र जिन बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उसमें 90 प्रतिशत बच्चे गरीब परिवार से आते हैं और आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं।  

दरअसल, स्व. कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला की शुरुआत पूर्व आईजी डॉ. अरूण उरांव ने की थी। उनके द्वारा शुरू किए गए रात्रि पाठशाला में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है। इससे ही इन युवा छात्रों को हर गांव में रात्रि पाठशाला शुरू करने की प्रेरणा मिली।

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पूर्व आईजी डॉ. अरुण उरांव कहते हैं कि बहरहाल जो भी है जिस तरह कॉलेज के छात्रों ने यह अनोखी पहल की है, वह काबिले तारीफ है। कॉलेज के छात्रों ने ग्रामीण इलाकों में रात्रि पाठशाला की शुरुआत कर एक मिसाल कायम किया है।

बता दें कि झारखंड (Jharkhand) के आदिवासी नेता व आदिवासी विकास परिषद के संस्थापक स्व. कार्तिक उरांव ने जनजातीय समाज को शिक्षित, संगठित और जागरूक करने का सपना देखा था। अब उनके इस सपने को साकार करने का बीड़ा पूर्व आईपीएस पदाधिकारी डॉ.अरूण उरांव ने उठाया।

आदिवासी विकास परिषद के राज्य संरक्षक डॉ. उरांव ने एक अभिनव पहल करते हुए कार्तिक उरांव के नाम पर रात्रि पाठशाला की शुरूआत की। इस रात्रि पाठशाला में गांव के ही पढ़े-लिखे नौजवान जनजातीय बच्चों को शिक्षा दान दे रहे हैं ताकि तेजी से बदलते परिवेश में जनजातीय समाज के बच्चे भी समान रूप से आगे बढ़ें।

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डा. अरूण उरांव ने सबसे पहले झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची जिले के मांडर प्रखंड के उचरी गांव में कार्तिक उरांव रात्रि पाठशाला की नींव रखी थी। देखते ही देखते रांची और लोहरदगा जिले में भी रात्रि पाठशाला की शुरुआत हो गई और अब यह अमन्य जिलों में भी शुरू की जा रही है।

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