झारखंड: कोरोना काल में भी नहीं रुकी इस गांव के बच्चों की पढ़ाई, पीएम मोदी ने की टीचरों की तारीफ

Jharkhand: कोरोना महामारी का असर देश के बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा। स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चों की रेगुलर शिक्षा काफी प्रभावित हुई।

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सांकेतिक तस्वीर

झारखंड (Jharkhand) का एक गांव ऐसा भी है, जहां टीचरों ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी किया और बच्चों की शिक्षा को प्रभावित नहीं होने दिया। पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी इस बात का जिक्र किया।

रांची: कोरोना महामारी का असर देश के बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा। स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चों की रेगुलर शिक्षा काफी प्रभावित हुई। लेकिन झारखंड (Jharkhand) का एक गांव ऐसा भी है, जहां टीचरों ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी किया और बच्चों की शिक्षा को प्रभावित नहीं होने दिया। पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी इस बात का जिक्र किया।

झारखंड के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दुमका के जरमुंडी प्रखंड में एक गांव है, जिसका नाम है डूमरधर गांव। यहां के स्कूल के प्रिंसपल दर्शन कुमार ने अपने साथी शिक्षकों, छात्र-छात्राओं के अभिभावकों और प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ एक बैठक की, जिसमें ये फैसला किया गया कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं की जाएगी और कोरोना के नियमों का भी पालन किया जाएगा।

प्रिंसपल ने गांव के खुले स्थानों में बने घरों की दीवारों को बतौर ब्लैक बोर्ड इस्तेमाल किया और गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। गांव में लगभग 200 दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाया गया। इससे बच्चों की पढ़ाई भी नहीं रुकी और कोरोना के नियमों का पालन भी हुआ।

प्रिंसपल की इस पहल का आस-पास के टीचरों ने भी स्वागत किया और वह भी अपने स्कूलों के बच्चों को इसी तरह पढ़ाने लगे।

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इसी तरह सदर प्रखंड दुमका के बनकाठी उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह गांधी ने भी बच्चों को गांव में पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू किया और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल शुरू किया।

बता दें कि दुमका जिला बहुत विकसित नहीं है, इसलिए गांव के बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन्स और ऑनलाइन क्लास की सुविधा नहीं है।

इसी तरह गिरिडीह के डुमरी निवासी टीचर सतीश कुमार जायसवाल ने भी बच्चों को पढ़ाना जारी रखा।
उन्होंने यूट्यूब पर सरल भाषा में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और अपने वीडियो अपलोड किए। इससे बच्चों को काफी फायदा मिला। कई सामाजिक संगठनों ने उनके काम के लिए सराहना की। टीचर सतीश कुमार का कहना है कि कोरोना, छात्रों के लिए एक नया अवसर लेकर आया, जिससे उन्हें पढ़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय मिल पाया।

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