भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक सदस्यों में से एक और पूर्व कैबिनेट मंत्री जसवंत सिंह का निधन (Jaswant Singh) हो गया। वह 82 साल के थे और बीते 6 सालों से कोमा में थे। उन्हें बीजेपी का प्रभावी नेता माना जाता था।
बीजेपी में जसवंत (Jaswant Singh) की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह एक बार तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कमरे में एक ड्राफ्ट फेंककर वापस आ गए थे।
दरअसल 2001 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और जसवंत सिंह इस सरकार में विदेश मंत्री थे। यूपी के आगरा में भारत-पाक शिखर सम्मेलन चल रहा था। वहां पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी थे और पीएम वाजपेयी भी मौजूद थे।
पहले दिन मुशर्रफ और पीएम वाजेपयी के बीच बातचीत हुई, लेकिन उसमें विदेश मंत्रियों को शामिल नहीं किया गया। इस बातचीत को बाद में मंत्रिमंडल के सदस्यों को ब्रीफ किया गया। ऐसे में विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने प्रस्ताव रखा कि दोनों तरफ के विदेश मंत्रियों को भी इस बातचीत में शामिल किया जाना चाहिए, उनकी बात मान ली गई और अब बैठक में कुल 4 लोग शामिल हुए।
दोनों पक्षों की तरफ से जो भी बात बनी, जसवंत सिंह ने उसका एक टाइप किया हुआ ड्राफ्ट तैयार किया और उसकी एक फोटो कॉपी पाकिस्तान के विदेश मंत्री अब्दुल सत्तार को दे दी और दूसरी कॉपी को पीएम वाजपेयी के पास लेकर आए। लेकिन उस ड्राफ्ट में तत्कालीन गृह मंत्री आडवाणी ने कुछ मुद्दों (आतंकवाद) पर असहमति जताई और ड्राफ्ट में कुछ चीजों को जोड़ने के लिए कहा।
ऐसे में अचानक जसवंत सिंह बहुत नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि पाक विदेश मंत्री से बात करने के बाद इस ड्राफ्ट को तैयार किया है। अगर इस प्रस्ताव को नहीं माना जाता है तो इसका मतलब है कि मंत्रिमंडल को हम पर भरोसा ही नहीं है। इसके बाद जसवंत सिंह ड्राफ्ट पेपर को वाजपेयी के कमरे में ही फेंका और गु्स्से में बाहर निकल आए।
इस घटना का जिक्र तत्कालीन वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अपनी किताब ‘रिलेन्टलेस: ऐन बायोग्राफी’ में किया है।
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