Jammu Kashmir: सरेंडर कर चुके आतंकी के बेटे ने परीक्षा में पाया दूसरा स्थान, सेना ने की मदद

सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसका नतीजा ये है कि आतंकी या तो सरेंडर कर रहे हैं, या फिर मुठभेड़ में ढेर किए जा रहे हैं।

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साकिब

अख्तर हुसैन ने बताया कि मुझसे गलती हो गई थी, मैं राष्ट्र विरोधी ताकतों की बातों में आकर भटक गया था। इसलिए मैंने बंदूक थाम ली थी।

जम्मू कश्मीर: सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसका नतीजा ये है कि आतंकी या तो सरेंडर कर रहे हैं, या फिर मुठभेड़ में ढेर किए जा रहे हैं।

ऐसे में सरेंडर करने वाले एक आतंकी अख्तर हुसैन का बयान सामने आया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व आतंकी अख्तर का कहना है कि वह अपने बेटे साकिब को IAS के पद पर देखना चाहता है।

अख्तर हुसैन ने बताया कि मुझसे गलती हो गई थी, मैं राष्ट्र विरोधी ताकतों की बातों में आकर भटक गया था। इसलिए मैंने बंदूक थाम ली थी।

अख्तर ने कहा कि मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि मैं भारतीय सेना के संपर्क में आया, सेना चाहती तो मुझे मार सकती थी लेकिन सेना ने मुझे अपने बच्चों के साथ रहने के लिए नई जिंदगी दी और एक बेहतर जिंदगी का सपना दिखाया। इसके बाद मैंने सेना की बात मानकर बंदूक छोड़ दी।

अख्तर ने बताया कि आज सेना उसके बच्चों को पढ़ाकर नई जिंदगी दे रही है और वो खुद मेहनत मजदूरी कर अपना परिवार पाल रहा है।

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ये बातें इसलिए भी अहम हैं क्योंकि अख्तर हुसैन के बेटे साकिब ने माहोर धरमाड़ी इलाके में उसका नाम रोशन किया है। नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में उनके बेटे साकिब अंजुम ने दूसरा स्थान पाया है। अख्तर का कहना है कि ये सेना की मेहरबानी है जो सेना ने उनके बेटे के लिए कोचिंग क्लास अरेंज की, जिससे वह दूसरा स्थान पाया।

बता दें कि अख्तर हुसैन वर्ष 1999 से 2002 तक आतंकवाद में सक्रिय रहे थे, लेकिन आज वह एक आम जिंदगी बिता रहे हैं। वहीं अख्तर के बेटे साकिब ने अपनी सफलता का श्रेय सेना और टीचर्स को दिया है।

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