Kashmir: आतंक के खिलाफ एक्शन में सेना, आतंकियों को नहीं मिल रही छिपने की जगह

कश्मीर घाटी (Kashmir) में सुरक्षाबलों की सख्ती देखकर अब आतंकियों (Terrorists) के पसीने छूट रहे हैं। जवानों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों से आतंकियों के पैर उखड़ने लगे हैं।

Terrorists

फाइल फोटो।

आतंकियों (Terrorists) को छिपने की जगह भी नहीं मिल पा रही। आतंकी सुरक्षाबलों से बचने के लिए अब बगीचों में बंकर बनाने लगे हैं। यहां तक कि मौसमी नदियों में भी बंकर खोदकर रहते हैं।

कश्मीर घाटी (Kashmir) में सुरक्षाबलों की सख्ती देखकर अब आतंकियों (Terrorists) के पसीने छूट रहे हैं। जवानों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों से आतंकियों के पैर उखड़ने लगे हैं। हालात यह है कि अब उन्हें छिपने की जगह भी नहीं मिल पा रही। आतंकी सुरक्षाबलों से बचने के लिए अब बगीचों में बंकर बनाने लगे हैं। यहां तक कि मौसमी नदियों में भी बंकर खोदकर रहते हैं।

सेना की आतंकवाद रोधी इकाई 44-राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभाल रहे कर्नल ए के सिंह कहते हैं, “ऐसा हाल में पुलवामा और शोपियां जिलों में देखने को मिली है तथा शोपियां में इनकी संख्या ज्यादा है क्योंकि वहां सेब के घने बगीचे और जंगल हैं।” कर्नल सिंह और उनका दल शोपियां के दो और पुलवामा जिले के तीन इलाकों की निगरानी करता है।

सामने आई चीन की एक और करतूत, बेरहमी से की थी 4 भारतीय सैनिकों की हत्या, जानें पूरा मामला

इन दोनों ही इलाकों को आतंकवादियों (Terrorists) के गढ़ के तौर पर देखा जाता है। भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं। बाढ़ से प्रभावित इलाके रामबी अरा में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था।

कर्नल सिंह बताते हैं, “आतंकवादी रामबी अरा के मध्य में लोहे के बने बंकर के अंदर छिपे हुए थे। सतर्क जवानों ने तेल के एक ड्रम का ढक्कन खुला देखा जिसका इस्तेमाल आतंकवादी बंकर में आने-जाने के रास्ते के तौर पर करते थे। यह संदेहजनक था और इसके बाद वहां गुपचुप तरीके से नजर रखी जाने लगी। हमें यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे हैं, जो आम तौर पर बारिश के मौसम में ही पानी से भरी रहती है।”

जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, आतंकी संगठन अल-बद्र के 2 आतंकी गिरफ्तार

गौरतलब है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और हिज्बुल मुजाहिद्दीन (Hizbul Mujahideen) के पांच आतंकवादियों (Terrorists) को इस साल के शुरुआत में मार गिराया गया था। हालांकि, सेना के लिए इन आतंकवादियों के मारे जाने से ज्यादा चिंता की बात यह थी कि आतंकवादी भूमिगत बंकरों को बनाने और उनमें रहने में सक्षम हैं।

तकनीकी खुफिया निगरानी और मानव संसाधनों के जरिए आसपास के इलाकों तथा खासकर शोपियां में सर्वेक्षण का आदेश दिया गया। जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए। पारंपरिक कश्मीरी घरों के अंदर तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई। इस साल जून में बंदपोह में सेब के घने पेड़ों से ढके और ऊंचाई वाले इलाके में स्थित एक और भूमिगत बंकर का सुरक्षाबलों ने पता लगाया।

जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में CRPF के जवानों पर आतंकी हमला, सीज किया गया इलाका

यहां आतंकवादी (Terrorists) 12 फुट लंबे और 10 फुट चौड़ा भूमिगत बंकर बनाकर रह रहे थे। सुरक्षाबलों की नजर जब एक प्लास्टिक से जमीन के ढके होने और वहां की मिट्टी ताजी खुदी होने पर गई तो इस बंकर का खुलासा हुआ। कर्नल सिंह के मुताबिक, भूमिगत बंकर के आसपास पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया।

44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभालने के बाद से कर्नल सिंह कई नागरिकों के घरों में गए जिनके रिश्तेदार आतंकवाद की राह पर चल निकले थे। अधिकारी ने उन्हें सलाह दी कि वे इन युवाओं का वापस आना सुनिश्चित करें और उन्हें हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया। बता दें कि सेना की इकाई 44-राष्ट्रीय राइफल्स ने अधिकतम आतंकवादियों (Terrorists) को मारा, पकड़ा या उनका आत्मसमर्पण कराया है।

ये भी देखें-

अब तक उन्होंने 47 आतंकवादियों को मार गिराया है और सात को हिरासत में लिया है या उनका आत्मसमर्पण कराया है। 44-राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल सिंह और उनका दल अक्सर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए उनसे मिलता है, उनसे बातचीत करता है। इस बातचीत के दौरान करियर संबंधी सुझाव देने से लेकर शिक्षा संबंधी बातें भी की जाती हैं।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें