घाटी में दहशत फैलाने की साजिश में आतंकी, गांवों के विकास में डाल रहे खलल

Jammu Kashmir

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकवादियों के किए गए दो हमले डरावने जरूर हैं, लेकिन ये कश्मीर में सामान्य होते हालात और आम लोगों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दिखती भागीदारी से हताशा की कायराना हरकत है।

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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 25 नवम्बर से शुरू हुए 6 दिवसीय ‘‘बैक टू विलेज’ यानी ‘‘गांवों की ओर लौटो’ कार्यक्रमों में जिस तरह लोग भारी संख्या में भागीदारी कर रहे हैं, उससे अवश्य ही आतंकवादियों के कलेजे पर सांप लोट रहा है। इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारी गांवों में जाकर लोगों से उनकी समस्याएं सुनते हैं, सरकार के कार्यक्रमों की जानकारी देते हैं, उनकी समस्याओं का वहीं समाधान करने की कोशिश करते हैं। इसमें स्थानीय सरपंच, पंच और जनता की स्वाभाविक ही भागीदारी होती है।

जो दो हमले हुए उनमें से एक दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में बैक टू विलेज कार्यक्रम के तहत बैठक कर रहे अधिकारियों, स्थानीय लोगों और पंचों-सरपंचों पर था। दुर्भाग्य से जब तक सुरक्षा बल पहुंचते आतंकवादी हमला कर भाग चुके थे। इस हमले में एक सरपंच और बागवानी विभाग के अधिकारी की मौत हो गई और एक सरकारी कर्मी सहित चार लोग घायल हुए हैं।

बैक टू विलेज कार्यक्रम पर हमला कर आतंवादी गांवों के लोगों को भयभीत करना चाहते हैं। उनकी कोशिश यही है कि लोग सरकार के कार्यक्रमों से दूर रहें। उम्मीद करनी चाहिए कि लोग इस कार्यक्रम में भारी संख्या में भाग लेकर आतंकवादियों का मुंहतोड़ जवाब देंगे। यह उनकी नियति का प्रश्न है।

इतिहास में आज का दिन – 28 नवंबर

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में ग्राम पंचायत या स्थानीय स्वशासन महज नाम भर के रहे हैं। सरकार ने इसे वास्तविक स्वरूप में लाने के कदम उठाए हैं और उनका स्वागत हुआ है। पंचायतों के खाते में सरकार ने सीधे विकास की धनराशि भेजनी शुरू की है। बीडीसी का वर्षो बाद सफल चुनाव भी भारत विरोधियों एवं आतंकवादियों को नागवार गुजरा है।

आतंकवादी तो स्कूल कॉलेजों के सुचारू रूप से चलने को भी रोकना चाहते हैं तभी उन्होंने श्रीनगर के हजरतबल इलाके में स्थित कश्मीर विविद्यालय के मुख्य द्वार के पास हथगोलों से हमला किया। यह एक लड़ाई है जिसे हम लड़ रहे हैं और एक दिन इसे परास्त करेंगे यह निश्चित है। हमारा संकल्प साफ है और किसी सूरत में न बैक टू विलेज कार्यक्रम रुकेगा, न शैक्षणिक सस्थान बंद किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के लोगों को भी ऐसे व्यवहार से बचना होगा जिससे आतंकवादियों का हौसला बढ़े।

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