जम्मू एयरफोर्स स्टेशन (Air Force Station) धमाके में नुकसान बेशक कम हुआ‚ लेकिन साजिश बहुत बड़ी थी। इस बार चीन से मिले ड्रोन से हमले की साजिश पीओके में रची गई थी और यह साजिश पाकिस्तान के टॉप सैन्य कमांडरों की देखरेख में रची गई।
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खुफिया सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान सेना के टॉप कमांडर्स ने इस हमले की साजिश रची थी। खुफिया सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद शमशाद के निर्देश पर ये ब्लास्ट किए गए। एयरफोर्स स्टेशन (Air Force Station) परिसर में रविवार की रात 1:40 मिनट पर विस्फोटकों से लदे दो ड्रोन गिरे थे‚ जिससे 5 मिनट के अंतराल पर दो धमाके हुए। इन धमाकों में एयरफोर्स के दो जवान घायल भी हो गए।
सूत्रों के मुताबिक जम्मू एयरपोर्ट के एयरपोर्ट स्टेशन (Air Force Station) पर हमले के लिए लाइट ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। जिसने हमले के लिए एलओसी के नजदीक मंगला से ड्रोन ने उड़ान भरी थी। इधर‚ एनआईए की टीम मिले सबूतों को फोरेंसिक लैब में भेज रही है‚ ताकि यह पता चल सके कि विस्फोटक किस तरह का था और ये आतंकियों के पास कहां से आ सकता है।
इस बात की आशंका है कि इस हमले में पाकिस्तान ने आतंकियों की मदद की है। ड्रोन भी कहीं आसपास से उड़कर एयरफोर्स स्टेशन (Air Force Station) तक आया था‚ क्योंकि सीमा पार से किसी ड्रोन के यहां तक पहुंचने की संभावना नहीं है। इस हमले में छोटे ड्रोन का इस्तेमाल हुआ और उसकी रेंज चार से पांच किलोमीटर से ज्यादा नहीं हो सकती‚ जबकि सीमापार पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन को पंद्रह किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर यहां तक पहुंचना पड़ता जो संभव दिखाई नहीं दे रहा।
सूत्रों के अनुसार जम्मू एयरफोर्स स्टेशन (Air Force Station) में रविवार को हुए धमाकों की जांच में जुटी टीमों का खास फोकस ड्रोन द्वारा तय की गई दूरी और उसके लाए गए पेलोड पर है। धमाके से कंक्रीट की छत पर गड्ढा हो गया था और उससे कुछ सुराग मिले हैं‚ जैसे विस्फोटक 5-10 किलो के बीच का हो सकता है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि इतने विस्फोटक या पेलोड ले जाने के लिए ड्रोन 25 किलो का रहा होगा। जम्मू–कश्मीर पुलिस के टॉप सूत्रों ने अतीत में ड्रोन का अध्ययन किया है और उन्होंने कहा कि ये 1/5 के अनुपात में होना चाहिए। एनएसजी बम डिटेक्शन सेंटर की टीम और इंडियन एयरफोर्स की टीम ड्रोन द्वारा तय की गई संभावित दूरी का अध्ययन कर रही है।
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