जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, 4 दिन में 200 गिरफ्तारी, हुर्रियत हो सकता है अगला निशाना

पिछले 4 दिनों में 200 से अधिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। जमात पर ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

जम्मू कश्मीर

जमात-ए-इस्लामी के 200 कार्यकर्ता गिरफ्तार।

पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने अलगाववादी समूह जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर को बैन कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सुरक्षा को लेकर एक हाई लेवल मीटिंग में इस बाबत फैसला हुआ। इसके बाद गृह मंत्रालय ने जमात पर बैन को लेकर अधिसूचना जारी की।

जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है। बैन लगाने के बाद सरकार ने जमात के कई नेताओं के घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है।

कश्मीर में कई जगहों पर अधिकारियों ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के घरों और संपत्तियों को सील कर दिया। सील करने का आदेश मजिस्ट्रेट ने दिया था। आपको बता दें कि 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा बलों ने अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। साथ ही, जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया था।

बताया जा रहा है कि पिछले 4 दिनों में 200 से अधिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। जमात पर ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

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जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इन कार्रवाईयों की निंदा की है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के राजनीतिक मुद्दों से बाहुबल से निपटने की कोशिश कर रही है। वहीं, पूर्व राज्यमंत्री सज्जाद लोन ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया था।

जमात-ए-इस्लामी का गठन 1942 में पीर सैदउद्दीन ने किया था। खुद को सामाजिक और धार्मिक संगठन बताने वाले जमात की कश्मीर की सियासत में भी बड़ी भूमिका रही है। साल 1971 में जमात ने कश्मीर में चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इसके बाद 1972 में जमात के 5 प्रत्याशी पहली बार विधायक बने थे। इनमें कट्टरपंथी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी भी शामिल थे।

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