आतंकियों के यमदूत बनें कश्मीरियों के देवदूत, सैन्य जवानों ने बर्फबारी में फंसी दो गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया

घग्गर हिल और शोपियां में भी हो रही भारी बर्फबारी के बीच दो गर्भवती महिलाओँ को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उनके परिजनों के सामने उन्हें कई किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाना सबसे बड़ी समस्या थी।

Indian Army

जम्मू कश्मीर में आतंकी या अलगाववादी भले ही भारतीय सेना (Indian Army) को नफरत की नजर से देखें‚ लेकिन वहां की जनता के लिए यही सेना हर समय मदद के लिए देवदूत की भांति खड़ी रहती है। ताजा मामले सरहद के पास बोनियार तहसील के दुर्गम गांव घग्गर हिल और दक्षिण कश्मीर के शोपियां का है।

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गौरतलब है कि इन दिनों पूरे कश्मीर में भारी बर्फबारी हो रही है। इसके कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है। आवागमन के सारे रास्ते बर्फ की चादरों से ढक गये हैं। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए लोगों के पास एक मात्र मददगार भारतीय सेना (Indian Army) ही है।

बताते चलें कि घग्गर हिल और शोपियां में भी हो रही भारी बर्फबारी के बीच दो गर्भवती महिलाओँ को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उनके परिजनों के सामने उन्हें कई किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाना सबसे बड़ी समस्या थी। ऐसे में जवानों ने इन गर्भवती महिलाओं को भारी बर्फबारी के बीच स्ट्रेचर पर लिटा कर अपने कंधों पर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जाबांज जवानों ने अपने बैटलफील्ड नर्सिंग स्टाफ की मदद से दोनों गर्भवती महिलाओं को सकुशल क्रमशः बोनियार तहसील के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व शोपियां जिला अस्पताल पहुंचाया गया।

अस्पताल में दोनों महिलाएं और बच्चे स्वस्थ हैं। सरहद के पास बोनियार तहसील की गर्भवती महिला को उनके घर गांव घग्गर के दुर्गम रास्ते से भारी बर्फबारी के बीच करीब 6 किलोमीटर सेना के जवानों ने कंधे पर प्राथमिक शिक्षा केंद्र पहुंचाया गया था।

ऐसा पहला मौका नहीं है जब भारतीय सेना (Indian Army) घाटी में जरूरतमंदों की मददगार बनी है। बल्कि सालभर दुश्मनों से लड़ने के साथ-साथ ही सैन्य जवान स्थानीय नागरिकों की हर मुश्किल घड़ी में देवदूत भी साबित होते हैं। फिर चाहें वर्ष 2014 में आई भीषण बाढ़ हो या फिर कोरोना काल। सभी मुश्किल परिस्थिति में भारतीय सेना घाटी के लोगों के लिए पहली पुकार बन चुकी है।

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