Jammu Kashmir: गृह मंत्रालय की बैठक में अहम फैसला, घाटी में आतंकियों के खात्मे के लिए बनी विशेष रणनीति

इस बैठक में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के जमीनी हालात पर गौर करते हुए आगे की रणनीति तैयार की गई। जिसमें टारगेट किलिंग करने वाले हाइब्रिड आतंकियों के खिलाफ खास खुफिया तंत्र तैयार किए जाने का फैसला लिया गया।

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Pic Credit: @DNN

केंद्रीय गृह मंत्रालय में बुधवार को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के मौजूदा हालात को लेकर गृह सचिव की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई। इसमें जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के साथ एडीजी एमके सिन्हा शामिल थे। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और तमाम खुफिया एजेंसियों के मुख्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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इस बैठक में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के जमीनी हालात पर गौर करते हुए आगे की रणनीति तैयार की गई। जिसमें टारगेट किलिंग करने वाले हाइब्रिड आतंकियों की तलाश व उनके खात्मे के लिए विशेष सुरक्षा तंत्र तैयार किए जाने का फैसला लिया गया। इस नई रणनीति के तहत जल्द ही इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी ग्रिड को तैयार करने का फैसला लिया गया।

इस मीटिंग में भारत-पाक सीमा के पार रची जा रही तमाम साजिशों पर पैनी नजर रखने की बात कही गई। जिनमें ड्रोन के जरिए हथियार व गोला-बारूद व ड्रग्स की खेपों को भारतीय सीमा में भेजने की पाकिस्तानी कोशिशों को रोकना खास है।

त्रिस्तरीय रणनीति में बीएसएफ, सेना, अर्धसैनिक बलों के अलावा राज्य पुलिस की भी भूमिका होगी। पिछले कुछ महीने में घाटी में आतंकी वारदात में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है। जबकि सुरक्षाबलों द्वारा आए दिन आतंकियों को मुठभेड़ों में मार गिराया जा रहा है। इससे सीमा पार बैठे आईएसआई के पालतू आतंकी तंजीमों व उनके हैंडलरो में जबरदस्त बेचैनी व बौखलाहट है।

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में सुरक्षा एजेंसियों को लगातार इनपुट मिल रहे हैं कि आनी वाली सर्दियों में न केवल घाटी, बल्कि जम्मू क्षेत्र के एलओसी के जुड़वा जिले राजोरी व पुंछ में चीन की मदद से पाकिस्तान आतंकी वारदात को बढ़ावा दे सकता है। इनमें पीओके में बैठे वो आतंकी दस्ते भी हैं जोकि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान लौटे हैं और आईएसआई ने उन्हें सीमा पार के आतंकी शिविरों में पनाह दी है।

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