
25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल (Foreign Envoys Delegation) 12 फरवरी को जम्मू-कश्मीर पहुंचा।
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल (Foreign Envoys Delegation) 12 फरवरी को यहां पहुंचा। राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केन्द्र सरकार ने किया। सबसे पहले इस दल ने चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढ़िल्लन से मुलाकात की।

राजनयिकों (Foreign Envoys Delegation) को राज्य की सुरक्षा स्थितियों से अवगत कराया गया। इसके बाद सभी सदस्य जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के परिसर पहुंचे जहां वे चीफ जस्टिस गीता मित्तल से मुलाकात की। सभी सदस्य इसके बाद उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू और जिला प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले। अधिकारियों ने बताया कि राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल सुबह करीब 11 बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा, लेकिन खराब मौसम के कारण वे तय कार्यक्रम के अनुरूप उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के दौरे पर नहीं जा सके।
राजनयिकों ने की डल झील की सैर
इस प्रतिनिधिमंडल (Foreign Envoys Delegation) में अफगानिस्तान, आस्ट्रिया, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन रिपब्लिक, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनिया गणराज्य, हंगरी, इटली एवं केन्या राजदूत शामिल हैं। इसके अलावा किर्गिस्तान, मेक्सिको, नामिबिया, द नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाकिया, तजाकिस्तान, यूगांडा एवं उज्बेकिस्तान के राजदूत भी इस दल के साथ कश्मीर गए हैं। विदेशी राजनयिकों ने श्रीनगर में शिकारों में बैठकर डल झील की सैर की।
कश्मीर की स्थिति के गवाह होंगे विदेशी राजनयिक- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने बताया कि आगे बढ़ने के प्रयास के तहत विदेशी मिशनों के प्रमुखों का यह दौरा जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में 12-13 फरवरी को कराया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार राजनयिकों का यह दल बारामूला, श्रीनगर एवं जम्मू का दौरा करेगा और तथा नागरिक समूहों के प्रतिनिधियों, युवाओं और विभिन्न जातीय, धार्मिक तथा सामाजिक आर्थिक समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा। इस दौरान ये राजनयिक स्थानीय व्यवसायियों एवं राजनीतिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, ”विदेशी राजनयिकों को वहां लागू विकास कार्यक्रमों, सुरक्षा स्थिति का आकलन करने और स्थिति के सामान्य होने के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिसके वह स्वयं गवाह होंगे।”
Jammu and Kashmir: The 25 foreign envoys of the second batch who are visiting Kashmir, met civil society members in Srinagar pic.twitter.com/xIlScQxAeq
— ANI (@ANI) February 12, 2020
व्यापारियों को सरकार के वादों पर है भरोसा
पहले दिन सभी राजनयिकों ने प्रसिद्ध कारोबारी समुदायों और राजनेताओं से व्यापक चर्चा की। व्यापारियों ने राजनयिकों को बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के उन्हें भारी नुकसान हुआ है लेकिन राज्य के विकास को लेकर सरकार के वादों पर उन्हें विश्वास है। कुछ व्यापारियों ने बताया कि वे चाहते हैं कि सरकार क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करे। सेब के उत्पादकों ने बताया कि पड़ोसी देश उनके कारोबार को खत्म करने में जुटे हैं। वहीं, युवाओं ने कहा कि हमारी जरूरत रोजगार है। विपक्षी नेताओं और लोगों ने सवाल उठाए कि क्या पाकिस्तान के झूठ को खत्म करने के लिए ये कोशिशें काफी हैं ? क्या कहीं ये दौरे केवल पब्लिसिटी स्टंट बनकर तो नहीं रह जाएंगे या इनसे कुछ फायदा भी होगा?
अफगान प्रतिनिधि ने कश्मीर के हालात पर जताई खुशी
प्रतिनिधिमंडल में शामिल अफगानिस्तान के ताहिर कादरी ने दौरे को लेकर कई ट्वीट किए और कश्मीर के हालात पर काफी खुशी जताई। एयरपोर्ट से होटल जाते हुए उन्हें इस बात का अंदाजा हुआ कि शहर में स्कूल और दुकानें खुली हुई हैं। देश में 80% सेब यहीं से जाता है और इस क्षेत्र में यहां व्यापार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी दिली तमन्ना थी कि एक बार कश्मीर जरूर आएं।
#WATCH Afghanistan Envoy Tahir Qadiry, in Srinagar, on 25 Foreign envoys visit Kashmir: It is great to come to Kashmir.We’ve been here only a couple of hours but can see shops open, children going to school etc. Met civil society members also,they really want peace in Kashmir. pic.twitter.com/MOrV5rHoqs
— ANI (@ANI) February 12, 2020
हालांकि, डेलिगेशन में लैटिन अमेरिकी सदस्य ने कहा कि वे केवल एक पर्यटक के तौर पर यहां आए हैं। प्रतिनिधिमंडल को बारामुला, श्रीनगर और जम्मू में जाना था, लेकिन वे बारामूला नहीं गए। डेलिगेशन ने श्रीनगर स्थित अपने होटल में ही कई लोगों से मुलाकात की। इसके अलावा राजनेताओं से भी मिले, जिन्होंने इनमें नजरबंद किए गए मुख्यमंत्रियों को रिहा करने की मांग की और बिगड़ते हुए हालात को जल्द सुधारे जाने की जरूरत है।
पहले भी विदेशी राजनयिकों का दल कर चुका है कश्मीर दौरा
इससे पहले सरकार ने 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल (Foreign Envoys Delegation) जम्मू-कश्मीर के दौरे पर भेजा था जिसका लक्ष्य उन्हें यह बताना था कि कश्मीर घाटी में सामान्य हालात तेजी से पटरी पर लौट रहा है। कश्मीर जाने वाले विदेशी राजनयिकों के पहले दल में अमेरिका के राजदूत के अलावा, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलिपीन, मोरक्को, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गयाना एवं टोगो के राजनयिक शामिल थे।
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