जम्मू कश्मीर: यूनानी मेडिसिन के 2 छात्र बने आतंकी, ऑडियो मैसेज डालकर किया ये ऐलान

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में यूनानी मेडिसिन के छात्रों ने पढ़ाई छोड़कर हथियार उठा लिए हैं और वह समाज के लिए एक खतरा बन गए हैं।

terrorists

सांकेतिक तस्वीर।

छात्रों ने यूनानी मेडिसिन में बैचलर डिग्री और सर्जरी की पढ़ाई की है। आतंकी (Terrorists) संगठन में शामिल होने के बाद इन दोनों छात्रों ने ऑडियो मैसेज को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इस मैसेज में इन दोनों ने आतंकी संगठन में शामिल होने की बात कही है।

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद (Terrorists) एक बड़ी समस्या है। सुरक्षाबल लगातार आतंकवाद के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, लेकिन फिर भी आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। घाटी के कई स्थानीय लोग भी आतंकियों की मदद कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घाटी में 2 और युवाओं ने आतंक का दामन थामा है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में यूनानी मेडिसिन के छात्रों ने पढ़ाई छोड़कर हथियार उठा लिए हैं और वह समाज के लिए एक खतरा बन गए हैं।

इन छात्रों ने यूनानी मेडिसिन में बैचलर डिग्री और सर्जरी की पढ़ाई की है। आतंकी संगठन में शामिल होने के बाद इन दोनों छात्रों ने ऑडियो मैसेज को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इस मैसेज में इन दोनों ने आतंकी संगठन में शामिल होने की बात कही है।

हालही में गृह मंत्रालय के आला अफसरों के हवाले से ये खबर आई थी कि कश्मीर (Kashmir) में इस तरह स्थानीय लोगों का आतंकी ग्रुप्स से जुड़ना सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बना हुआ है।

ये भी पढ़ें- Kashmir: घाटी में आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने वालों की संख्या बढ़ी, सामने आया चौंकाने वाला आंकड़ा

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 के पहले सात महीनों में 90 स्थानीय लोग विभिन्न आतंकवादी समूहों में शामिल हुए हैं। इनमें से 45 हिजबुल मुजाहिदीन, 20 लश्कर-ए-तैयबा, 14 जैश-ए मोहम्मद, 7 अल बद्र, दो अंसार गजवत उल हिंद और एक आईएसजेके (इस्लामिक स्टेट जम्मू-कश्मीर) में शामिल हुए।

मुठभेड़ में मरने वाले आतंकवादियों की पहचान से पता चलता है कि उनमें से ज्यादातर स्थानीय हैं। दरअसल, मुठभेड़ों में मारे गए 90 प्रतिशत से अधिक आतंकी स्थानीय कश्मीरी हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि इस साल के पहले 7 महीनों में घाटी में मारे गए 136 आतंकवादियों में से 121 स्थानीय थे और 15 विदेशी थे। वहीं, साल 2019 में मारे गए 152 आतंकवादियों में से 119 स्थानीय थे।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 216 स्थानीय लोगों को आतंकवादियों को शरण देने के लिए गिरफ्तार किया गया है।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें