जम्मू कश्मीर: मुख्यधारा में लौटने के लिए इस साल 17 आतंकियों ने किया सरेंडर, एक तो भालू के डर से पेड़ पर बैठा

एक युवक को भालू से अपनी जान बचाने के लिए पेड़ पर लटके रहना पड़ा और उसी पर रात बितानी पड़ी। इस घटना ने इस युवा के सोचने का नजरिया बदल दिया।

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सांकेतिक तस्वीर

सेना के सामने इस साल 17 आतंकियों (terrorists) ने अपनी-अपनी वजहों की वजह से हथियार डाले। लेकिन इनमें एक बात कॉमन थी कि ये सभी मुख्यधारा में वापस लौटना चाहते थे।

जम्मू कश्मीर: राज्य में आतंकियों (terrorists) के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच अनंतनाग जिले में बीते दिनों आतंक का रास्ता अपना चुके कई युवाओं ने सरेंडर किया है। इनमें से एक युवा की कहानी बेहद दिलचस्प है।

इस युवक को भालू से अपनी जान बचाने के लिए पेड़ पर लटके रहना पड़ा और उसी पर रात बितानी पड़ी। इस घटना ने इस युवा के सोचने का नजरिया बदल दिया और उसे समझ आया कि आतंकी (terrorists) बनने के लिए उकसाने वाले लोगों ने उसे मरने के लिए छोड़ दिया है।

इसके बाद इस युवा ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया। इसके अलावा एक और युवा ने अपने माता-पिता के कहने पर हथियार डाल दिए और आतंक का रास्ता छोड़ दिया।

सेना के सामने इस साल 17 युवाओं ने अपनी-अपनी वजहों की वजह से हथियार डाले। लेकिन इनमें एक बात कॉमन थी कि ये सभी मुख्यधारा में वापस लौटना चाहते थे।

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सेना का मुख्य फोकस आतंक और आतंकवाद के प्रभाव को खत्म करना है। इसलिए सेना दक्षिण कश्मीर में विशेष ध्यान दे रही है।

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि भालू से डरकर सरेंडर करने वाले युवा का नाम अब्बास शेख है। उसे आतंकियों ने बरगलाया था लेकिन अब वह सरेंडर कर चुका है।

वहीं माता-पिता के सामने हथियार डालने वाले युवाओं का नाम यावर वाघे और अमीर अहमद मीर है। इन दोनो ने भी मुख्यधारा में आने के लिए सरेंडर किया है।

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